Book Name:Tarbiyat e Aulad
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे आज के बयान का मौज़ूअ़ है "तरबियते औलाद ।" याद रखिए ! मुआ़शरे की इस्लाह़ में औलाद की अच्छी तरबियत रीढ़ की हड्डी की ह़ैसिय्यत रखती है क्यूंकि जब बच्चे नेक होंगे, इस्लामी तालीमात उन के किरदार में रची बसी होगी, तो मुआ़शरा अम्नो सुकून का नुमूना बन जाएगा । आज के बयान में हम औलाद की अच्छी तरबियत करने के ह़वाले से अह़ादीसे मुबारका, पेहले के वालिदैन के तरबियते औलाद के वाक़िआ़त और कई अहम निकात सुनेंगे । ऐ काश ! हमें सारा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों और मुकम्मल तवज्जोह के साथ सुनना नसीब हो जाए । आइए ! एक नेक वालिद और उन की तरबियत याफ़्ता बेटी की एक ईमान अफ़रोज़ ह़िकायत सुनते हैं । चुनान्चे,
शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की तरबियत याफ़्ता बेटी
ह़ज़रते शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ बहुत बड़े परहेज़गार थे, आप की साह़िबज़ादी जो नेक सूरत होने के साथ साथ नेक सीरत भी थी, जब शादी के लाइक़ हुई, तो बादशाह के यहां से रिश्ता आया मगर ह़ज़रते शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने तीन दिन की मोहलत मांगी और मस्जिद मस्जिद घूम कर किसी नेक नौजवान को तलाश करने लगे । एक नौजवान पर आप की निगाह पड़ी जिस ने अच्छी त़रह़ नमाज़ अदा की । शैख़ ने उस से पूछा : क्या तुम्हारी शादी हो चुकी है ? उस ने कहा : नहीं ! फिर पूछा : क्या निकाह़ करना चाहते हो ? लड़की क़ुरआने करीम पढ़ती है, नमाज़, रोज़े की पाबन्द है, ख़ूबसूरत और नेक सीरत है । उस ने कहा : भला मेरे साथ कौन रिश्ता करेगा ? ह़ज़रते शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने फ़रमाया : मैं करता हूं ! येह कुछ दिरहम रखो ! एक दिरहम की रोटी, एक दिरहम का सालन और एक दिरहम की ख़ुश्बू ख़रीद लाओ । इस त़रह़ ह़ज़रते शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी नेक बेटी का निकाह़ उस से पढ़ा दिया । दुल्हन जब दुल्हा के घर आई, तो उस ने देखा कि पानी की सुराह़ी पर एक सूखी रोटी रखी हुई है । उस ने पूछा : येह रोटी कैसी है ? दुल्हे ने कहा : येह कल की बासी रोटी है, मैं ने इफ़्त़ार के लिए रख ली थी । येह सुन कर वोह वापस होने लगी । येह देख कर दुल्हा बोला : मुझे मालूम था कि ह़ज़रते शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ की शहज़ादी मुझ ग़रीब इन्सान के घर नहीं रुक सकती । दुल्हन बोली : मैं आप की ग़ुर्बत (Poverty) के बाइ़स नहीं बल्कि इस लिए लौट कर जा रही हूं कि अल्लाह करीम पर आप का यक़ीन बहुत कमज़ोर नज़र आ रहा है, मुझे तो अपने वालिद पर ह़ैरत है कि उन्हों ने आप को पाकीज़ा आ़दत और नेक कैसे केह दिया ! दुल्हा येह सुन कर बहुत शर्मिन्दा हुवा और उस ने कहा : इस कमज़ोरी से माज़िरत ख़्वाह हूं । दुल्हन ने कहा : अपना उ़ज़्र आप जानें, अलबत्ता मैं ऐसे घर में नहीं रुक सकती जहां एक वक़्त की ख़ूराक जम्अ़ रखी हो, अब या तो मैं रहूंगी या रोटी । दुल्हे ने फ़ौरन जा कर रोटी ख़ैरात कर दी । (روض الریاحین،الحکایۃ الثانیہ والتسعون بعدالمائۃ،ص ۱۹۲، ملخصاً)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! आप ने सुना कि ज़माने के मश्हूर वली, ह़ज़रते शैख़ किरमानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने अपनी शहज़ादी की किस क़दर बेहतरीन अन्दाज़ में तरबियत फ़रमाई थी । आप की