Tarbiyat e Aulad

Book Name:Tarbiyat e Aulad

बच्चों को क़ुरआन सिखाने के फ़ज़ाइल

          नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : जिस शख़्स ने दुन्या में अपने बच्चे को क़ुरआने करीम पढ़ना सिखाया, तो बरोज़े क़ियामत जन्नत में उस शख़्स को एक ताज पेहनाया जाएगा जिस की बिना पर अहले जन्नत जान लेंगे कि इस शख़्स ने दुन्या में अपने बेटे को क़ुरआने करीम की तालीम दिलवाई थी । (معجم اوسط،۱/۴۰،حدیث:۹۶)

          उम्मत को क़ुरआन सिखाने वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : जिस ने क़ुरआने करीम पढ़ा, उसे सीखा और उस पर अ़मल किया, तो उस के वालिदैन को क़ियामत के दिन नूर का ऐसा ताज पेहनाया जाएगा जिस की चमक सूरज की त़रह़ होगी और उस के वालिदैन को दो लिबास पेहनाए जाएंगे जिन की क़ीमत येह दुन्या अदा नहीं कर सकती । वोह पूछेंगे : हमें येह लिबास क्यूं पेहनाए गए हैं ? उन से कहा जाएगा : तुम्हारे बच्चों के क़ुरआन को थामने के सबब । (مستدرک ، کتاب فضائل القرآن، باب من قراالقرآن وتعلمہ… الخ۲/۲۷۸،حدیث: ۲۱۳۲)

          दो जहां के सुल्त़ान, सरवरे ज़ीशान صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : जो शख़्स अपने बेटे को नाज़िरा क़ुरआने करीम सिखाए, इस के सबब उस के अगले पिछले गुनाह बख़्श दिए जाते हैं । (معجم اوسط،۱/۵۲۴،حدیث:۱۹۳۵)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

(4) घर का माह़ोल अच्छा बनाइए

प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा तमाम त़रीक़ों के मुत़ाबिक़ बच्चों की तरबियत करने के लिए हमें घर का माह़ोल अच्छा बनाना होगा, ख़ुद समेत तमाम घरवालों को नमाज़ों और तिलावते क़ुरआन का पाबन्द बनना होगा क्यूंकि घर का माह़ोल बच्चे की तरबियत का सब से अहम सबब है । बच्चे का ज़ियादा वक़्त मां-बाप के साथ गुज़रता है, लिहाज़ा उन्हें चाहिए कि वोह नेक, नमाज़ों के पाबन्द और तिलावते क़ुरआन के आ़दी हों, तो बच्चे में भी येह आ़दतें पैदा होंगी । इन तमाम आ़दतों को अपनी ज़ात का ह़िस्सा बनाने के लिए दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइए, हर जुमेरात को होने वाले हफ़्तावार इजतिमाअ़ में शिर्कत कीजिए, घर में मदनी चेनल चलाइए, हर हफ़्ते होने वाला मदनी मुज़ाकरा देखिए या सुनिए और घर दर्स शुरूअ़ कर दीजिए, اِنْ شَآءَ اللّٰہ न सिर्फ़ आप के बच्चे बल्कि घर के दीगर अफ़राद भी नेक बन जाएंगे ।

शोबा राबित़ा बराए ताजिरान

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी दुन्या भर में ख़िदमते दीन के 80 शोबों में सुन्नतों की धूमें मचा रही है, इन्ही में से एक शोबा "राबित़ा बराए ताजिरान" भी है । याद रहे ! तिजारत एक ऐसा शोबा है जो हर मुल्क में रीढ़ की हड्डी की ह़ैसिय्यत रखता है बल्कि कई मुल्कों की मई़शत का दारो मदार ही तिजारत पर है मगर बद क़िस्मती से इ़ल्मे दीन से दूरी की वज्ह से आज मुसलमानों की एक तादाद तिजारत के इस्लामी उसूलों पर अ़मल करने से बहुत दूर है । चुनान्चे, आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी के तह़्त शोबा "राबित़ा बराए