Book Name:Tarbiyat e Aulad
येह कलिमात एक बार पढ़ लिया करो : اَللہُ مَعِیَ اَللہُ نَاظِرِیْ اَللہُ شَاھِدِیْ यानी अल्लाह पाक मेरे साथ है, अल्लाह पाक मुझे देखने वाला है, अल्लाह पाक मुझ पर गवाह है । जब आप इस पर अ़मल करने वाले बन गए, तो इरशाद फ़रमाया : अब इसे रोज़ाना 7 बार पढ़ा करो । जब 7 मरतबा पढ़ने पर भी अ़मल की सआ़दत ह़ासिल कर ली, तो इस की तादाद 15 करवा दी फिर आप सारी ज़िन्दगी येही वज़ीफ़ा करते रहे । (तज़किरतुल औलिया, स. 228)
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! बुज़ुर्गाने दीन की सोह़बत से तरबियत याफ़्ता अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने अपनी नवासी के लिए सब घरवालों को केह रखा था कि इस के सामने "अल्लाह ! अल्लाह !" करते रहिए ताकि इस की ज़बान से पेहला लफ़्ज़ "अल्लाह" निकले और जब वोह आप की बारगाह में लाई जाती, तो आप ख़ुद भी उस के सामने अल्लाह पाक का ज़िक्र करते । जब आप की नवासी ने बोलना शुरूअ़ किया, तो ज़बान से पेहला लफ़्ज़ "अल्लाह" ही बोला ।
(2) बच्चों को आक़ा करीम और सह़ाबा के वाक़िआ़त सुनाइए
बच्चों की अच्छी तरबियत का दूसरा त़रीक़ा येह है कि अपने बच्चों को ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم और सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان के वाक़िआ़त सुनाएं, इस की बरकत से बच्चों के दिल में इ़श्के़ रसूल और सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان की मह़ब्बत पैदा होगी । आइए ! तरग़ीब के लिए एक वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
सह़ाबी बनने का शौक़ कैसे पैदा हुवा ?
एक दिन स्कूल में उस्ताद साह़िब ने छोटे बच्चों से पूछना शुरूअ़ किया कि आप बड़े हो कर क्या बनेंगे ? किसी ने कहा : मैं डॉक्टर बनूंगा । किसी ने कहा : मैं इन्जीनियर बनूंगा । किसी ने कहा : मैं स्कूल टीचर बनूंगा । जब उस्ताद साह़िब ने अस्लम से पूछा : आप क्या बनेंगे ? तो अस्लम ने कहा : मैं बड़ा हो कर सह़ाबी बनूंगा । उस्ताद ने कहा : बेटा ! आप को पता है सह़ाबी किस को केहते हैं ? जवाब मिला : नहीं ! तो उस्ताद साह़िब ने कहा : फिर आप को सह़ाबी बनने का शौक़ कैसे मिला ? तो बताने लगा : मेरी वालिदा रात को रोज़ाना मुझे एक सह़ाबी का वाक़िआ़ सुनाती है जिस से मेरे दिल में सह़ाबी बनने की तमन्ना पैदा हो गई ।
12 दीनी कामों में से एक दीनी काम "अ़लाक़ाई दौरा"
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि बच्चों को बुज़ुर्गाने दीन के वाक़िआ़त सुनाने की कैसी ज़बरदस्त बरकात ज़ाहिर होती हैं, लिहाज़ा हमें भी अपने बच्चों को बुज़ुर्गाने दीन की सीरत और उन के कारनामों से मुतअ़ल्लिक़ बताते रेहना चाहिए और उन्हें ऐसा माह़ोल फ़राहम करना चाहिए जहां रेह कर उन के अन्दर बुज़ुर्गाने दीन के नक़्शे क़दम पर चलने की कुढ़न पैदा हो । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी फै़ज़ाने अम्बिया, फै़ज़ाने सह़ाबा, फै़ज़ाने अहले बैत और फै़ज़ाने औलिया है, लिहाज़ा आप ख़ुद भी इस माह़ोल से वाबस्ता रहिए और अपने