Book Name:Tarbiyat e Aulad
बच्चों को भी इस माह़ोल से वाबस्ता कर लीजिए नीज़ ज़ैली ह़ल्के़ के 12 दीनी कामों में शिर्कत करने वाले बन जाइए ।
याद रहे ! ज़ैली ह़ल्के़ के 12 दीनी कामों में से एक दीनी काम "अ़लाक़ाई दौरा" भी है । इस दीनी काम के बे शुमार फ़ाएदे हैं, मसलन : ٭ मस्जिद आबाद रेहती है । ٭ अ़लाके़ में ख़ूब दीनी काम फैलता है । ٭ नए नए इस्लामी भाई दीनी माह़ोल के क़रीब आते हैं । ٭ बे नमाज़ियों को नमाज़ी बनाने की सआ़दत नसीब होती है । ٭ अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की दुआ़ओं से ह़िस्सा पाने और नेकी की दावत देने का मौक़अ़ मिलता है । आइए ! बत़ौरे तरग़ीब अ़लाक़ाई दौरे का एक वाक़िआ़ सुनते हैं । चुनान्चे,
एक इस्लामी भाई का क़ाफ़िला एक शहर की मस्जिद में पहुंचा । दरवाज़े पर ताला लगा हुवा था, दरवाज़ा खोला, तो हर चीज़ पर मिट्टी ही मिट्टी थी, ऐसा मालूम होता था जैसे काफ़ी अ़र्से से मस्जिद बन्द हो । उन्हों ने मिल जुल कर सफ़ाई की, नमाज़े अ़स्र के बाद अ़लाक़ाई दौरे के लिए खेल के मैदान (Playground) में पहुंचे और खेलने में मश्ग़ूल नौजवानों को नेकी की दावत दी । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! कई नौजवान उसी वक़्त उन के साथ चलने के लिए तय्यार हो गए, मस्जिद में आ कर उन के साथ नमाज़ पढ़ने और सुन्नतों भरा बयान सुनने की सआ़दत ह़ासिल की, इनफ़िरादी कोशिश से उन्हों ने उस मस्जिद को आबाद करने की निय्यत कर ली । येह मन्ज़र देख कर वहां मौजूद एक बुज़ुर्ग रो कर केहने लगे : اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आज आ़शिक़ाने रसूल और अ़लाक़ाई दौरे की बरकत से येह मस्जिद आबाद हो गई है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बच्चों का ज़ेह्न ख़ाली होता है, हम जिस त़रह़ चाहें, उन के ज़ेह्न भर सकते हैं । अगर हम अपने बच्चों को इन मुबारक हस्तियों की सीरत के नूरानी, नमाज़ से मह़ब्बत, तिलावते क़ुरआन और आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से मह़ब्बत के वाक़िआ़त सुनाएं, तो यक़ीनन हमारे बच्चों के दिल में इ़श्के़ रसूल, नमाज़ों से मह़ब्बत और तिलावते क़ुरआन करने का ज़ेह्न बनेगा । अल्लाह करीम हमें इन बातों पर अ़मल करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।
(3) बच्चों को क़ुरआन सिखाइए
बच्चों की अच्छी तरबियत का तीसरा त़रीक़ा येह है कि उन्हें दुन्यावी तालीम के साथ साथ दीनी तालीम और बिल ख़ुसूस क़ुरआने करीम की तालीम भी दिलवाइए क्यूंकि दुन्यावी उ़लूम का फ़ाएदा सिर्फ़ दुन्या तक मह़दूद होता है जबकि दीनी उ़लूम का फ़ाएदा क़ब्रो आख़िरत में भी मिलेगा । क़ुरआन एक नूर है, अगर बच्चों के दिलो दिमाग़ को क़ुरआन की रौशनी से आरास्ता किया जाए, तो इस की बरकत से उन का बात़िन भी मुनव्वर हो जाएगा । नबिय्ये रह़मत, शफ़ीए़ उम्मत صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने अपनी औलाद को तालीमे क़ुरआन से आरास्ता करने वालों को कई बिशारतें अ़त़ा फ़रमाई हैं । चुनान्चे,