Book Name:Tarbiyat e Aulad
इख़्तियार करने (यानी नक़्क़ाली करने) से मुमानअ़त है, न मर्द औ़रत की वज़अ़ (त़र्ज़) इख़्तियार करे, न औ़रत मर्द की । (बहारे शरीअ़त, ह़िस्सा : 16, स. 65) ٭ जब बैठें, तो जूते उतार लीजिए कि इस से क़दम आराम पाते हैं । ٭ (तंगदस्ती का एक सबब येह भी है कि) औंधे जूते को देखना और उस को सीधा न करना । "दौलते बे ज़वाल" में लिखा है : अगर रात भर जूता औंधा पड़ा रहा, तो शैत़ान उस पर आ कर बैठता है, वोह उस का तख़्त है । (सुन्नी बिहिश्ती ज़ेवर, ह़िस्सा : 5, स. 601)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد