Tarbiyat e Aulad

Book Name:Tarbiyat e Aulad

हैं, उन सब को इस्लामी अह़कामात की तालीम दे या दिलवाए, यूंही इस्लामी तालीमात के साए में उन की तरबियत करे ताकि जहन्नम की आग से बचने में काम्याब हो जाए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! चुग़ली, रियाकारी, धोकादेही और ग़ीबत ऐसी चीज़ें हैं कि बचपन से ही बच्चों को इन से बचने की तरग़ीब दिलानी चाहिए क्यूंकि अगर्चे ना बालिग़ बच्चों का इस का गुनाह नहीं मिलता लेकिन बाज़ अवक़ात येह बचपन की आ़दतें ऐसी पुख़्ता हो जाती हैं कि बड़े होने के बाद इन से बचना मुश्किल हो जाता है, बिल ख़ुसूस चुग़ली और ग़ीबत तो वोह चीज़ें हैं जो भाई को बहनों से, बहनों को भाइयों से और औलाद को वालिदैन तक से जुदा कर देती हैं, इन की वज्ह से ख़ानदान टूट जाते हैं, यहां तक कि लड़ाई, झगड़े तक नौबत पहुंच जाती है । लिहाज़ा हमें चाहिए कि ख़ुद भी ग़ीबत व चुग़ली से बचें और अपने बच्चों को भी इन से बचने की तरग़ीब दिलाएं । आइए ! तरग़ीब के लिए ग़ीबत व चुग़ली के मुतअ़ल्लिक़ 3 फ़रामीने मुस्त़फ़ा सुनते हैं :

  1. ग़ीबत, चुग़ल ख़ोरी और बे गुनाह लोगों के ऐ़ब तलाश करने वालों को अल्लाह पाक (क़ियामत के दिन) कुत्तों की शक्ल में उठाएगा । (الترغیب والترھیب، كتاب الادب، الترهيب من النميمة، ۳/ ۳۲۵، حدیث:۱۰)
  2. ग़ीबत और चुग़ली ईमान को इस त़रह़ काट देती हैं जिस त़रह़ चरवाहा दरख़्त को काट देता है । (الترغیب والترهیب، كتاب الادب، الترهيب من الغيبة … الخ، ۳/ ۳۳۲ ، حدیث: ۲۸)
  3. चुग़ल ख़ोर जन्नत में नहीं जाएगा । (بخاری، كتاب الادب، باب ما یکرہ من النميمة، ۴/۱۱۵، حدیث:۶۰۵۶)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! क़ियामत की हौलनाकियों से बचने और जन्नत की आला नेमतें पाने के लिए ख़ुद को और अपने बच्चों को ग़ीबत व चुग़ली के साथ साथ दीगर गुनाहों भरे कामों से बचाइए, अपने बच्चों को झूट, गालम गलोच, मुसलमान को धोका देने से बचने और नमाज़ पढ़ने की तरग़ीब दिलाइए, उन्हें सुन्नतों पर अ़मल करने और बड़ों के अदबो एह़तिराम का सलीक़ा सिखाइए, क़ुरआने करीम की तिलावत का आ़दी बनाइए और दूसरों से हमेशा ह़ुस्ने सुलूक से पेश आने का दर्स दीजिए । अल्लाह करीम हमें और हमारी औलाद को दीने मतीन के मुत़ाबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारने और दीने इस्लाम की सर बुलन्दी के लिए कोशिश करते रेहने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          ऐ आ़शिक़ाने औलिया ! तरबियते औलाद के ह़वाले से बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن और पेहले के मुसलमानों का किरदार हमारे लिए लाइके़ अ़मल है क्यूंकि येह ह़ज़रात तरबियते औलाद के त़रीक़ों को अच्छी त़रह़ जानते और औलाद जैसी नेमत की सह़ीह़ मानों में क़द्र किया करते थे कि ख़ुद इन की परवरिश भी तो किसी नेक सीरत वालिदैन की निगरानी में हुई थी, येह ह़ज़रात ख़ुद भी नेकियों के शौक़ीन होते और अपनी औलाद को भी नेकी की राह पर लगे रेहने की तरग़ीब दिलाया करते थे, येही वज्ह है कि इन की औलाद इन की फ़रमां बरदार, आंखों का चैन, दिल का सुकून और मुआ़शरे में इन का नाम रौशन करती थी । आइए ! बत़ौरे तरग़ीब 2 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनते हैं । चुनान्चे,