Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat
प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ के माल को अपने माल जैसा समझ कर ही इस्तिमाल फ़रमाते थे । (مصنف عبدالرزاق، کتاب الجامع، باب اصحاب النبی، ۱۰/۲۲۲، حدیث: ۴۸۴۸)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबा ! बयान के आग़ाज़ में हम ने सुना था कि ग़ज़्वए तबूक के मौक़अ़ पर आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने माली ख़िदमत का कैसा अ़ज़ीम मुज़ाहरा फ़रमाया, तारीख़ में इस की मिसाल नहीं मिलती, आप ने अपना सारा माल इस्लाम और मुसलमानों पर निछावर कर दिया, ह़त्ता कि आप बारगाहे रिसालत में ह़ाज़िर हुवे, तो बबूल के कांटों वाला लिबास पेहने हुवे थे । (تاریخ مدینۃ دمشق، رقم ۳۳۹۸، عبداللہ۔۔۔الخ ،۳۰/۷۱)
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबा ! आप ने सुना कि अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ अपना माल राहे ख़ुदा में ख़र्च करने में किस क़दर आगे थे कि बाज़ मौक़ओ़ं पर तो आप ने अपना सारा का सारा माल अल्लाह पाक की राह में ख़र्च के लिए पेश फ़रमाया । हमें भी चाहिए कि नेकी के कामों और अल्लाह पाक की राह में ज़ियादा से ज़ियादा सदक़ा व ख़ैरात करते रहें ।
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! मक्की मदनी मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपनी ज़बाने ह़क़्क़े तर्जुमान से सदके़ के कई फ़ज़ाइल इरशाद फ़रमाए हैं । आइए ! सदके़ के फ़ज़ाइल पर 8 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं । चुनान्चे,
सदके़ के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल 8 फ़रामीने मुस्त़फ़ा
1. इरशाद फ़रमाया : सदक़ा बुराई के 70 दरवाज़े बन्द करता है । (معجم کبير،۴/۲۷۴،حديث:۴۴۰۲)