Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat
व ख़ैरात का सवाब भी कमाते जाएं । जो दुकानदार हैं, वोह अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ अपने गाहकों (Customers) पर इनफ़िरादी कोशिश कर के उन्हें भी राहे ख़ुदा में माल ख़र्च करने के फ़ज़ाइल बता कर उन्हें भी अपना ह़िस्सा शामिल करने की तरग़ीब दें । मशवरतन अ़र्ज़ है कि हम रोज़ाना की एक रक़म मख़्सूस कर लें, मसलन 5 रुपये ही सही फिर उस के मुत़ाबिक़ हम रोज़ाना अपना ह़िस्सा डालते जाएं और मजलिसे चन्दा बक्स के त़ै शुदा त़रीके़ कार के मुत़ाबिक़ येह चन्दा जम्अ़ भी करवा दें । जो दुकानों वग़ैरा पर बक्स रखा जाता है, उस को "चन्दा बक्स" और जो घरों में बक्स रखा जाता है, उसे "घरेलू सदक़ा बक्स" केहते हैं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
हाथ मिलाने की सुन्नतें और आदाब
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से हाथ मिलाने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं । चुनान्चे, ٭ दो मुसलमानों का मुलाक़ात के वक़्त सलाम कर के दोनों हाथ मिलाना सुन्नत है । ٭ रुख़्सत होते वक़्त भी सलाम कीजिए और हाथ भी मिला सकते हैं । ٭ नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का इरशाद है : जब दो मुसलमान मुलाक़ात करते हुवे दोनों हाथ मिलाते हैं और एक दूसरे से ख़ैरिय्यत पूछते हैं, तो अल्लाह पाक उन के दरमियान सौ रह़मतें नाज़िल फ़रमाता है, जिन में से निन्नानवे रह़मतें ज़ियादा अच्छे त़रीके़ से मिलने वाले और अच्छे त़रीके़ से अपने भाई से ख़ैरिय्यत पूछने वाले के लिए होती हैं । (معْجَم اوْسَط،۵/۳۸۰،حدیث:۷۶۷۲) ٭ जब दो दोस्त आपस में मिलते हैं और दोनों हाथ मिलाते हैं और नबी (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) पर दुरूदे पाक पढ़ते हैं, तो उन दोनों के जुदा होने से पेहले पेहले दोनों के अगले पिछले गुनाह बख़्श दिए जाते हैं । (شُعَبُ الْاِیْمَان، ۶ / ۴۷۱،حدیث ۸۹۴۴) ٭ हाथ मिलाते वक़्त