Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat
फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ : "نِیَّۃُ الْمُؤمِنِ خَیْرٌ مِّنْ عَمَلِہٖ" मुसलमान की निय्यत उस के अ़मल से बेहतर है । (معجم کبیر،۶/۱۸۵،حدیث:۵۹۴۲)
अहम नुक्ता : नेक और जाइज़ काम में जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।
٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगा ।٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ताज़ीम के लिए जब तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगा ।٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वालों की दिलजूई के लिए बुलन्द आवाज़ से जवाब दूंगा ।٭ इजतिमाअ़ के बाद ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगा ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! जुमादल उख़रा इस्लामी साल का छटा महीना है, इस महीने की 22 तारीख़ को आ़शिके़ अक्बर, सालारे सह़ाबा, पैकरे सिद्क़ो वफ़ा, यारे ग़ार व यारे मज़ार, पेहले ख़लीफ़ए राशिद, अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का यौमे उ़र्स है । इस में कुछ शक नहीं कि इमामत हो या ख़िलाफ़त, करामत हो या शराफ़त, सदाक़त हो या शुजाअ़त, ख़ौफे़ ख़ुदा हो या इ़श्के़ मुस्त़फ़ा, अल ग़रज़ ! हर एतिबार से अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का एक अहम (Important) मक़ाम है । आज के बयान में हम आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का मुख़्तसर तआ़रुफ़ और आप की رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ सख़ावत का तज़किरा सुनेंगे । काश ! सारा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ सुनना नसीब हो जाए । आइए ! पेहले सय्यिदुना सिद्दीके़ अक्बर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का अल्लाह पाक के प्यारे रसूल صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के ह़ुक्म पर अपना सारा माल राहे ख़ुदा में पेश करने का बे मिसाल वाक़िआ़ सुनिए । चुनान्चे,