Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat
﴾1﴿...किस रिश्तेदार से क्या बरताव करे ?
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रिश्तों की नौइ़य्यत बदलने के साथ रिश्तेदारों से अच्छा सुलूक करने के दरजात भी बदलेंगे । रिश्तों में सब से बढ़ कर मर्तबा वालिदैन का है फिर जिन से नसब की वज्ह से निकाह़ हमेशा के लिए ह़राम हो उन का मर्तबा है फिर इन के बाद बाक़ी रिश्तेदार अपने रिश्ते के ह़िसाब से अच्छे सुलूक के ह़क़दार होंगे । (رَدُّالْمُحتار،۹ /۶۷۸ ملخصاً)
﴾2﴿...रिश्तेदार से अच्छे सुलूक की सूरतें
याद रहे ! सिलए रेह़्म (यानी रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक करने) की मुख़्तलिफ़ सूरते हैं । इन को हदिय्या व तोह़फ़ा देना, अगर इन को किसी जाइज़ बात में तुम्हारी इमदाद की ज़रूरत हो, तो इस काम में इन की मदद (Help) करना, इन्हें सलाम करना, इन की मुलाक़ात को जाना, इन के पास उठना, बैठना, इन से बात चीत करना, इन के साथ लुत़्फ़ो मेहरबानी से पेश आना । ( کتاب الدُرَر الحکام،۱/۳۲۳ )
﴾3﴿...परदेस हो, तो ख़त़ भेजा करे
अगर येह शख़्स परदेस में है, तो रिश्तेदारों के पास ख़त़ भेजा करे, उन से ख़त्त़ो किताबत जारी रखे ताकि बे तअ़ल्लुक़ी पैदा न होने पाए और हो सके, तो वत़न आए और रिश्तेदारों से तअ़ल्लुक़ात (Relations) ताज़ा कर ले, इस त़रह़ करने से मह़ब्बत में इज़ाफ़ा होगा । (رَدُّالْمُحتار،۹/۶۷۸) (मोबाइल फ़ोन या इन्टरनेट के ज़रीए़ भी राबित़े की तरकीब मुफ़ीद है, टेकनॉलोजी के इस दौर में एक दूसरे से राबित़ा करना गोया बहुत आसान हो गया है, चाहे दुन्या के किसी भी कोने में हों, राबित़ा हो ही जाता है)