Siddique e Akbar Ki Sakhawat

Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat

करना वाजिब है और रिश्ता तोड़ना गुनाह, ह़राम और दोज़ख़ में ले जाने वाला काम है) ।

7﴿...सिलए रेह़्म येह है कि वोह तोड़े, तब भी तुम जोड़ो

          रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक इसी का नाम नहीं कि वोह सुलूक करे, तो तुम भी करो, येह चीज़ तो ह़क़ीक़त में अदला बदला (Reciprocation) करना है कि उस ने तुम्हारे पास चीज़ भेज दी, तुम ने उस के पास भेज दी, वोह तुम्हारे यहां आया, तुम उस के पास चले गए । ह़क़ीक़त में रिश्तेदारों के साथ अच्छा सुलूक येह है कि वोह काटे और तुम जोड़ो, वोह तुम से जुदा होना चाहता है, ला परवाई करता है और तुम उस के साथ रिश्ते के ह़ुक़ूक़ की रिआ़यत करो । (رَدُّالْمُحتار،۹/۶۷۸)

تُو بَرائے وَصْل کَرْدَن آمَدِی

نے بَرائے فَصْل کَرْدَن آمَدِی

तर्जमा : यानी तू जोड़ पैदा करने के लिए आया है, तोड़ पैदा करने के लिए नहीं आया । (ग़ीबत की तबाहकारियां, स. 112)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

अच्छा गुमान रखने का त़रीक़ा

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा सातों मस्अले निहायत तवज्जोह के क़ाबिल हैं, बिल ख़ुसूस सातवां मस्अला जिस में "अदले बदले" का ज़िक्र है । इस के बारे में अ़र्ज़ है कि आज कल उ़मूमन येही अदला बदला हो रहा है । एक रिश्तेदार अगर इस को शादी की दावत (Invitation) देता है, जभी येह उस को दावत देता है, अगर वोह न दे, तो येह भी नहीं देता । अगर उस एक ने इस को ज़ियादा अफ़राद की दावत दी और येह अगर उस को कम अफ़राद की दावत दे, तो इस का ठीक ठाक नोटिस लिया जाता, ख़ूब तन्क़ीदें और ग़ीबतें की जाती हैं । बद क़िस्मती से इ़ल्मे दीन से दूरी की वज्ह से आज कल मुआ़शरे में