Siddique e Akbar Ki Sakhawat

Book Name:Siddique e Akbar Ki Sakhawat

1.      इरशाद फ़रमाया : हर शख़्स (क़ियामत के दिन) अपने सदके़ के साए में होगा, यहां तक कि लोगों के दरमियान फै़सला फ़रमा दिया जाए । (معجم کبير ، ۱۷/ ۲۸۰، حديث: ۷۷۱)

2.      इरशाद फ़रमाया : बेशक सदक़ा करने वालों को सदक़ा क़ब्र की गर्मी से बचाता है और बिला शुबा मुसलमान क़ियामत के दिन अपने सदके़ के साए में होगा । (شعب الايمان، باب الزکاة،التحریض علی صدقة التطوع،۳/۲۱۲، حديث:۳۳۴۷)

3.      इरशाद फ़रमाया : नमाज़ (ईमान की) दलील है, रोज़ा (गुनाहों से) ढाल है और सदक़ा ख़त़ाओं को यूं मिटा देता है, जैसे पानी आग को । ( ترمذی، ابواب السفر، باب ما ذُکِر فی فضل الصلاة، ۲/ ۱۱۸، حديث:۶۱۴)

4.      इरशाद फ़रमाया : सुब्ह़ सवेरे सदक़ा दिया करो क्यूंकि बला सदके़ से आगे क़दम नहीं बढ़ाती । (شُعَبُ الايمان، باب فی الزکاۃ،التحريض علی صدقة التطوع،۳/۲۱۴، حديث:۳۳۵۳)

5.      इरशाद फ़रमाया : बेशक मुसलमान का सदक़ा उ़म्र बढ़ाता और बुरी मौत को रोकता है और अल्लाह पाक उस की बरकत से सदक़ा देने वाले से बड़ाई और फ़ख़्र करने की बुरी आ़दत दूर कर देता है । (معجم کبير، ۱۷/۲۲، حديث:۳۱)

6.      इरशाद फ़रमाया : जो अल्लाह पाक की रिज़ा की ख़ात़िर सदक़ा करे, तो वोह (सदक़ा) उस के और आग के दरमियान पर्दा बन जाता है । (مجمع الزوائد،کتاب الزکاة، باب فضل الصدقة،۳/ ۲۸۶، حدیث: ۴۶۱۷)

7.      इरशाद फ़रमाया : बेशक सदक़ा रब्बे करीम के ग़ज़ब को बुझाता और बुरी मौत को दूर करता है । (ترمذی، کتاب الزکاۃ، باب ما جاء فی فضل الصدقة، ۲/ ۱۴۶، حديث:۶۶۴)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! जो अल्लाह पाक की राह में इख़्लास के साथ सदक़ा करता है, अल्लाह पाक उस को ज़रूर अज्र अ़त़ा फ़रमाता है, लिहाज़ा हमें भी चाहिए कि वक़्तन फ़ वक़्तन अल्लाह पाक की राह में ह़स्बे तौफ़ीक़ ज़रूर सदक़ा किया करें, اِنْ شَآءَ اللّٰہ हमें इस की बे शुमार दीनी व दुन्यावी बरकतें ह़ासिल होंगी । अल्लाह पाक की राह में सदक़ा व ख़ैरात करने की अहम्मिय्यत व फ़ज़ीलत का अन्दाज़ा इस बात से लगाइए कि ख़ुद हमारे प्यारे रब्बे करीम ने क़ुरआने करीम में सदक़ा व ख़ैरात करने का ह़ुक्म इरशाद