Kamalat-e-Mustafa

Book Name:Kamalat-e-Mustafa

बुरी सोह़बतों से नजात मिल गई

          मुल्के मुर्शिद के एक इस्लामी भाई के किरदार में बुरी सोह़बतों की वज्ह से इस क़दर बिगाड़ पैदा हो गया था कि उन्हें छोटों पर शफ़्क़त का कोई एह़सास था, ही बड़ों के अदबो एह़तिराम का कोई ख़याल, बात बात पर लड़ाई, झगड़ा करना उन का मामूल बन चुका था, ह़त्ता कि उन की बुरी आ़दतों की वज्ह से घरवाले भी तंग चुके थे एक दिन दर्से फै़ज़ाने सुन्नत में शिर्कत की सआ़दत नसीब हुई, इस के बाद वोह दर्स में पाबन्दी से शिर्कत करने लगे, यूं मदनी दर्स की बरकत से उन्हों ने अपनी गुनाहों भरी ज़िन्दगी से तौबा की और बुरी सोह़बतों से पीछा छुड़ा कर आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दावते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो गए

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ख़ज़ाने लुटाने वाले आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم

          ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! हम मोजिज़ाते मुस्त़फ़ा और कमालाते मुस्त़फ़ा के बारे में सुन रहे थे । याद रहे ! जितनी कसरत से आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ज़ात से मोजिज़ात ज़ाहिर हुवे, किसी नबी से उतनी कसरत से मोजिज़ात का ज़ुहूर नहीं हुवा । अह़ादीसे त़य्यिबा में कई ऐसे वाक़िआ़त मिलते हैं कि रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की तवज्जोह से थोड़ा सा खाना कई अफ़राद के लिए कई कई महीनों के लिए काफ़ी हो जाता था । उन वाक़िआ़त से अन्दाज़ा होगा कि अल्लाह पाक ने अपने मदनी ह़बीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ को कितने इख़्तियारात अ़त़ा फ़रमाए हैं, जिस के ह़क़ में आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के हाथ उठ जाते या जिस के लिए आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मुबारक लब ह़रकत फ़रमा देते, दुन्या व आख़िरत की बरकतें उस का