Kamalat-e-Mustafa

Book Name:Kamalat-e-Mustafa

वालिदैन आएं, तो ताज़ीमन खड़े हो जाना कारे सवाब है ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ लिखते हैं : बुज़ुर्गों की आमद पर येह दोनों काम, यानी ताज़ीमन क़ियाम और इस्तिक़्बाल जाइज़ बल्कि सुन्नते सह़ाबा है बल्कि ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّم) की सुन्नते क़ौली है (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 370)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!       صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد