Kamalat-e-Mustafa

Book Name:Kamalat-e-Mustafa

मुक़द्दर बन जातीं आइए ! मह़ब्बते मुस्त़फ़ा में इज़ाफ़ा करने की निय्यत से मज़ीद 3 मोजिज़ात सुनते हैं

            ह़ज़रते जाबिर رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं : एक शख़्स ने नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की बारगाह में ह़ाज़िर हो कर कुछ खाना त़लब किया, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उसे आधा वस्क़ (यानी तक़रीबन 120 किलोग्राम) जव दे दिए, वोह आदमी, उस की बीवी और उन के मेहमान (एक अ़र्से तक) वोही जव खाते रहे, यहां तक कि एक दिन उस शख़्स ने वोह जव माप लिए फिर वोह ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमते अक़्दस में ह़ाज़िर हुवा तो आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : अगर तुम उसे मापते, तो तुम वोह जव खाते रेहते और वोह यूंही (हमेशा) बाक़ी रेहते (مسلم،کتاب الفضائل،باب فی معجزات النبی،ص۹۶۳، حدیث: ۵۹۴۶)

          मश्हूर सह़ाबिये रसूल, ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ का बयान है : मैं ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की ख़िदमते अक़्दस में कुछ खजूरें (Dates) ले कर ह़ाज़िर हुवा और अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! इन खजूरों में बरकत की दुआ़ फ़रमा दीजिए आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने उन खजूरों को जम्अ़ कर के दुआ़ए बरकत फ़रमा दी और इरशाद फ़रमाया : तुम इन को अपने थैले में रख लो और तुम जब चाहो हाथ डाल कर इस में से निकालते रहो लेकिन कभी थैला झाड़ कर बिल्कुल ख़ाली कर देना चुनान्चे, ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ उन खजूरों में से ख़ुद भी खाते, लोगों को भी खिलाते और मनों के ह़िसाब से अल्लाह पाक की राह में भी दिया करते आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ हमेशा उस थैली को अपनी कमर से बांधे रेहते थे, यहां तक कि अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते उ़स्माने ग़नी رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की शहादत के दिन वोह थैली उन की कमर से कट कर कहीं गिर गई (ترمذی،کتاب المناقب،باب مناقب لابی ہریرۃ،۵/۴۵۴، حدیث:۳۸۶۵)