Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

बल्कि वोह आख़िरी लम्ह़ात भी नेकियों में गुज़ारते हैं । आइये ! इस ज़िमन में एक ईमान अफ़रोज़ ह़िकायत सुनिये और वक़्त की क़द्रो क़ीमत को समझने की कोशिश कीजिये । चुनान्चे,

अभी वक़्त है !

          ह़ज़रते सय्यिदुना अह़मद बिन मुह़म्मद बिन ज़ियाद رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ से मन्क़ूल है : मैं ने ह़ज़रते सय्यिदुना अबू बक्र अ़त़्त़ार رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ को येह फ़रमाते हुवे सुना : जब ह़ज़रते सय्यिदुना अबू क़ासिम जुनैद رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का इन्तिक़ाल हुवा, तो मैं और मेरे कुछ दोस्त वहां मौजूद थे, हम ने देखा कि इन्तिक़ाल से कुछ देर क़ब्ल कमज़ोरी की वज्ह से आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ बैठ कर नमाज़ पढ़ रहे थे, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के दोनों पाउं सूजे हुवे थे, जब रुक़ूअ़ व सुजूद करते, तो एक पाउं मोड़ लेते जिस की वज्ह से बहुत तक्लीफ़ और परेशानी होती । दोस्तों ने येह ह़ालत देखी, तो कहा : ऐ अबू क़ासिम رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ! येह क्या है ? आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के पाउं सूजे हुवे क्यूं हैं ? फ़रमाया : "अल्लाहु अक्बर" येह तो ने'मत है । ह़ज़रते सय्यिदुना अबू मुह़म्मद ह़रीरी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने कहा : ऐ अबू क़ासिम رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ! अगर आप लेट जाएं, तो क्या ह़रज है ? फ़रमाया : अभी वक़्त है जिस में कुछ नेकियां कर ली जाएं, इस के बा'द कहां मौक़अ़ मिलेगा । फिर "अल्लाहु अक्बर" कहा और आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ का विसाल हो गया । येह भी मन्क़ूल है कि जब आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ से कहा गया : ह़ुज़ूर ! अपनी जान पर कुछ नर्मी कीजिये । तो फ़रमाया : अब मेरा नामए आ'माल बन्द किया जा रहा है, इस वक़्त नेक आ'माल का मुझ से ज़ियादा कौन ह़ाजत मन्द होगा ?

(عیون الحکایات،الحکایۃ السابعۃو الستون بعد المائتین،ص۲۵۰)

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! याद रखिये ! अ़क़्लमन्द शख़्स न तो ख़ुद अपना वक़्त ज़ाएअ़ करता है और न ही दूसरों का वक़्त बरबाद करता है बल्कि वोह तो अपने वक़्त की क़द्र करता, अपने काम से काम रखता, वक़्त को अच्छे अच्छे कामों में सर्फ़ करता और दूसरों को इस की तरग़ीब दिलाता है, टाइम पास करने की सोच रखने वालों की इस्लाह़ करता और फ़ुज़ूल बात निकल जाने की सूरत में फ़िक्रे मदीना करते हुवे अपना एह़तिसाब भी करता है । हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن का इस बारे में ज़बरदस्त मदनी ज़ेहन बना हुवा था । आइये ! तरग़ीब के लिये 2 ईमान अफ़रोज़ वाक़िआ़त सुनते हैं और नसीह़त के मदनी फूल चुनते हैं । चुनान्चे,

1﴿...टाइम पास करने वाले की इस्लाह़

          दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "इह़याउल उ़लूम" जिल्द 2, सफ़ह़ा नम्बर 829 पर लिखा है : ह़ज़रते सय्यिदुना अबू अ़ली फ़ुज़ैल बिन इ़याज़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ मस्जिदे ह़राम में अकेले तशरीफ़ फ़रमा थे । एक दोस्त आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के पास आया, आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने उस से आने का सबब दरयाफ़्त किया । उन्हों ने कहा : ऐ अबू अ़ली ! मैं आप के पास दिल बहलाने के लिये आया हूं । आप ने फ़रमाया : अल्लाह पाक की क़सम ! येह तो घबराहट दिलाने