Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

वाला काम है ! तुम येही चाहते हो कि तुम मेरे लिये अपना कलाम ख़ूब सूरत करो, मैं तुम्हारे लिये अपना कलाम आरास्ता करूं, तुम मेरे लिये झूट बोलो और मैं तुम्हारे लिये झूट बोलूं ? (लिहाज़ा बेहतरी इसी में है कि) या तो तुम मेरे पास से चले जाओ या मैं तुम्हारे पास से चला जाता हूं । (इह़याउल उ़लूम, 2 / 287, मुलख़्ख़सन)

2﴿...फ़ुज़ूल सुवाल के कफ़्फ़ारे में एक साल के रोज़े रखे

          दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना की किताब "मिन्हाजुल आ़बिदीन" सफ़ह़ा नम्बर 173 पर लिखा है : ह़ज़रते सय्यिदुना ह़स्सान बिन सिनान ताबेई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ एक बुलन्दो बाला मकान के पास से गुज़रे, तो उस के मालिक से पूछा : येह बाला ख़ाने बनाए तुम्हें कितना अ़र्सा गुज़रा है ? येह सुवाल करने के बा'द आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ दिल में सख़्त शर्मिन्दा हुवे और अपने नफ़्स से मुख़ात़ब हो कर यूं फ़रमाया : ऐ इतराने वाले नफ़्स ! तू फ़ुज़ूल व बे मक़्सद सुवालात में क़ीमती वक़्त को ज़ाएअ़ करता है । फिर उस फ़ुज़ूल सुवाल के कफ़्फ़ारे में आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने एक साल के रोज़े रखे ।

(منہاج العابدین ،الباب  الثالث،الفصل الثالث،ص۶۵)

अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ और वक़्त की क़द्र

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि हमारे बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن का वक़्त किस क़दर एह़तियात़ वाले अन्दाज़ में गुज़रता था, अगर उन का कोई दोस्त सिर्फ़ इस लिये आता कि थोड़ा दिल बहल जाए और कुछ टाइम पास हो जाए, तो येह ह़ज़रात उसे वक़्त की अहम्मिय्यत पर मदनी फूल अ़त़ा फ़रमाते और वक़्त की बरबादी के नुक़्सानात बता कर उस की इस्लाह़ फ़रमाते ।

आज के इस नाज़ुक दौर में शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ, बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की याद ताज़ा करने वाली वोह अ़ज़ीम हस्ती हैं जिन का हर अ़मल हमारे लिये लाइके़ अ़मल है । आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ ने अपने वक़्त को एक बेहतरीन अन्दाज़ में तक़्सीम किया हुवा है । चुनान्चे, नमाज़, अवरादो वज़ाइफ़, मदनी मुज़ाकरे, मुत़ालआ़, नफ़्ल रोज़े, नवाफ़िल की अदाएगी, मदनी मशवरे, सह़री व इफ़्त़ार, अपने मुरीदों, त़ालिब होने वालों और उ़लमा व अ़वाम से मुलाक़ात, मरीज़ों की इ़यादत, मर्ह़ूमीन के रिश्तेदारों से ता'ज़ियत, मदनी कामों की तरक़्क़ी पर ज़िम्मेदाराने दा'वते इस्लामी की ह़ौसला अफ़्ज़ाई के मदनी फूल, अहले ख़ाना की ज़रूरत, अपनी औलाद की मदनी तरबिय्यत के साथ साथ नवासों, नवासियों, पोतों और पोतियों की मदनी तरबिय्यत, तह़रीरी काम, आराम और ज़िन्दगी के बे शुमार मा'मूलात को मुख़्तलिफ़ अवक़ात में तक़्सीम कर के इस्तिक़ामत से इस पर अ़मल वक़्त की क़द्र करने का मुंह बोलता सुबूत है ।

आप دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की दीनी व तन्ज़ीमी काम्याबियों की बेहतरीन मिसाल दुन्या भर में आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी का मदनी पैग़ाम और 107 शो'बाजात के