Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi
अव्वाबीन के नवाफ़िल भी अदा कीजिये और फिर इ़शा की नमाज़ के बा'द मद्रसतुल मदीना बालिग़ान में दुरुस्त तलफ़्फ़ुज़ के साथ क़ुरआने पाक सीखये और दीगर ज़रूरी मुआ़मलात के बा'द जल्दी सोने की आ़दत बनाइये, बिला वज्ह ज़ियादा देर तक जागने से सुब्ह़ नमाज़े फ़ज्र के लिये उठने में सुस्ती होगी । (11) इस जदवल के इ़लावा सारा दिन फ़ुज़ूल बातों से बचने के लिये ज़बान की ह़िफ़ाज़त कीजिये । (12) फ़ारिग़ लम्ह़ात में ज़िक्रो दुरूद की कसरत कीजिये । (13) फ़िल्में, ड्रामे और गुनाहों भरे चेनल्ज़ देखने के बजाए ख़ुद भी 100 फ़ीसद इस्लामी चेनल "मदनी चेनल" देखिये और घर वालों को भी इस की तरग़ीब दिलाइये । जी हां ! मदनी चेनल ही एक ऐसा वाह़िद चेनल है जिसे आप घर वालों के साथ बैठ कर देख सकते हैं । (14) छुट्टी वाले दिन खेल कूद में वक़्त बरबाद करने के बजाए ऐ काश ! उम्मते मुस्लिमा तक नेकी की दा'वत पहुंचाने की निय्यत से मदनी दौरे में शिर्कत की सआ़दत मिल जाए । अगर इस त़रह़ हम जदवल बना कर उस पर अ़मल करेंगे, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ हमारा वक़्त फ़ुज़ूल कामों में बरबाद होने के बजाए नेकियों में बसर होगा ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हमारे मीठे मीठे आक़ा, मदीने वाले मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के मुबारक वक़्त की तक़्सीम किस त़रह़ थी ? वक़्त का दुरुस्त इस्ति'माल कैसे हो ? कम वक़्त में ज़ियादा से ज़ियादा दीन की ख़िदमत कैसे की जा सकती है ? इ़बादतो रियाज़त को अपने जदवल (Schedule) में कैसे शामिल किया जा सकता है ? जदवल की अहम्मिय्यत व फ़वाइद क्या हैं ? क्या जदवल में घर के काम काज भी होने चाहियें ? बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِعَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की मुबारक ज़िन्दगियों का जदवल कैसा होता था ? ज़िम्मेदाराने दा'वते इस्लामी अपना जदवल कैसे बनाएं ? जदवल बनाने में क्या क्या निय्यतें की जा सकती हैं ? येह सारी मा'लूमात जानने के लिये रिसाला "आक़ा का जदवल" मक्तबतुल मदीना के बस्ते से हदिय्यतन त़लब कीजिये, ख़ुद भी पढ़िये और दूसरों को भी तोह़्फ़तन पेश कीजिये । दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net पर भी मौजूद है । येह रिसाला मक्तबतुल मदीना के बस्ते पर दस्तयाब होने के साथ साथ दा'वते इस्लामी की वेबसाइट www.dawateislami.net से पढ़ा और प्रिन्ट आउट भी किया जा सकता है ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
اَلْحَمْدُ لِلّٰہ ! आ़शिक़ाने रसूल की मदनी तह़रीक दा'वते इस्लामी कमो बेश 107 शो'बाजात में दीने मतीन की ख़िदमत सर अन्जाम दे रही है, इन्ही शो'बाजात में से एक "मजलिसे मदनी इनआ़मात" भी है । शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की ख़्वाहिश के मुत़ाबिक़ इस्लामी भाइयों, इस्लामी बहनों और जामिआ़तुल मदीना व मदारिसुल मदीना के त़लबा व त़ालिबात को बा अ़मल बनाने के लिये मदनी इनआ़मात पर अ़मल की तरग़ीब दिलाने के लिये मजलिसे मदनी इनआ़मात का क़ियाम अ़मल में आया ।