Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

से एक बहुत बड़ा नुक़्सान वक़्त का बरबाद होना भी है । बा'ज़ लोग इन्टरनेट, फे़सबुक (Facebook) और वॉट्स ऐप (Whatsapp) के ऐसे आ़दी हो चुके हैं कि एक लम्ह़े के लिये भी मोबाइल फ़ोन नहीं छोड़ते, वक़्फे़ वक़्फे़ से अपने सोने, जागने, घूमने, फिरने, शॉपिंग करने, खाने, पीने और दीगर मुआ़मलात अपने दोस्तों से शेयर (Share) करते हैं, बेशर्मी व बे ह़याई की ह़ुदूद को तोड़ते हुवे बे पर्दा लड़कियां भी किसी से पीछे रहने को तय्यार नहीं, वोह भी अपनी बेहूदा तसावीर (Pictures) आ़म करने में फ़ख़्र मह़सूस करती हैं ।

हमारी नौजवान नस्ल (New Generation) इन्टरनेट के ग़लत़ इस्ति'माल में इस क़दर मश्ग़ूल हो चुकी है कि वोह अपने घन्टों इस में ज़ाएअ़ कर देती है । अगर किसी दिन इस्ति'माल न कर सकें, तो अ़जीब सी बेचैनी मह़सूस की जाती है और टाइम पास नहीं होता । ज़रा सोचिये ! किसी दिन क़ुरआने पाक की तिलावत न कर सकने पर इस क़दर बेचैनी और उदासी हुई ? इशराक़ व चाश्त या तहज्जुद के नवाफ़िल अदा न कर सकने पर इस क़दर बेचैनी हुई ? ऐ काश ! हमें तिलावते क़ुरआन का ज़ौक़ो शौक़ नसीब हो जाए । ऐ काश ! हमें कसरते इ़बादत की तौफ़ीक़ नसीब हो जाए । ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह इबने अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا से रिवायत है : नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने फ़रमाया : मेरी उम्मत के बेहतरीन लोग क़ुरआने करीम पढ़ने वाले और रात को जाग कर अल्लाह पाक की इ़बादत करने वाले हैं । (الترغیب والترہیب ، کتا ب النوافل ، التر غیب فی قیام اللیل ، رقم ۲۷ ، ج ۱ ،ص ۲۹۳)

2﴿...मोबाइल फ़ोन

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! जिस त़रह़ इन्टरनेट का सह़ीह़ इस्ति'माल करने से कसीर दीनी और दुन्यवी फ़वाइद ह़ासिल हो सकते हैं, इसी त़रह़ मोबाइल फ़ोन का ज़रूरी इस्ति'माल भी हमारे कारोबारी मुआ़मलात, रिश्तेदारों से तअ़ल्लुक़ात, दोस्तों से मुलाक़ात और दीगर ज़रूरिय्यात के लिये हमारा मददगार है मगर हम ने इसे वक़्त ज़ाएअ़ करने का शायद एक आला समझ रखा है, बिल ख़ुसूस नौजवान लड़के और लड़कियां इस का ग़लत़ और बेजा इस्ति'माल करते हुवे सारा सारा दिन वीडियो गेम्ज़ खेलते और ऐसे फ़ुज़ूल SMS भेजते हैं जिन में अ़जीबो ग़रीब मज़ाक़ व अश्आ़र, अख़्लाक़िय्यात को बिगाड़ने वाले और बा'ज़ अवक़ात तो ऐसे ग़ैर शरई़ कलिमात होते हैं जिन की वज्ह से ह़ुक्मे कुफ़्र लाज़िम आता होगा । मज़ीद येह कि ऐसे SMS पढ़ कर مَعَاذَ اللّٰہ ख़ुशी का इज़्हार कर के दूसरों को भी भेजते हैं ।

याद रहे ! इस त़रह़ सारा दिन मोबाइल फ़ोन का इस्ति'माल आंखें कमज़ोर होने, ता'लीमी नुक़्सान होने, ग़ौरो फ़िक्र की सलाह़िय्यत ख़त्म होने, पैसे और ज़िन्दगी के क़ीमती लम्ह़ात ज़ाएअ़ करने का भी सबब है । अगर हमारे पास मोबाइल फ़ोन है, तो हमें अपना पैसा और क़ीमती वक़्त बचाते हुवे उस का सह़ीह़ इस्ति'माल करना चाहिये । मोबाइल फ़ोन पर गाने सुनने के बजाए मक्तबतुल मदीना के बस्ते से शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ, निगराने शूरा और