Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi
अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ फ़रमाते हैं : काश ! दीगर फ़राइज़ व सुन्नतों की बजा आवरी के साथ साथ तमाम इस्लामी भाई और इस्लामी बहनें इन मदनी इनआ़मात को भी अपनी ज़िन्दगी पर नाफ़िज़ कर लें और तमाम ज़िम्मेदाराने दा'वते इस्लामी और इस्लामी बहनें अपने अपने ह़ल्के़ में इन (मदनी इनआ़मात के रसाइल) को आ़म कर दें और हर मुसलमान अपनी क़ब्रो आख़िरत की बेहतरी के लिये इन मदनी इनआ़मात को इख़्लास के साथ अपना कर अल्लाह पाक के फ़ज़्लो करम से जन्नतुल फ़िरदौस में मदनी ह़बीब, ह़बीबे लबीब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का पड़ोसी बनने का अ़ज़ीम तरीन इनआ़म पा ले । आइये ! हम भी नेकी के कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लें और मदनी इनआ़मात पर न सिर्फ़ ख़ुद अ़मल करें बल्कि दूसरे इस्लामी भाइयों को इस की तरग़ीब दिला कर ढेरों सवाब कमाएं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
सुरमा लगाने की सुन्नतें और आदाब
आइये ! शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना अबू बिलाल मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से सुरमा लगाने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं । फ़रमाने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है : तमाम सुरमों में बेहतर सुरमा "इस्मिद" है, येह निगाह को रौशन करता और पल्कें उगाता है । ( ابن ماجہ،۴/ ۱۱۵ ،حدیث :۳۴۹۷ ) ٭ पथ्थर का सुरमा इस्ति'माल करने में ह़रज नहीं और सियाह (या'नी काला) सुरमा या काजल ज़ीनत की निय्यत से मर्द को लगाना मकरूह है और ज़ीनत मक़्सूद न हो, तो कराहत नहीं । (फ़तावा हिन्दिया, 5 / 359) ٭ सुरमा सोते वक़्त इस्ति'माल करना सुन्नत है । (मिरआतुल मनाजीह़, 6 / 180) ٭ सुरमा इस्ति'माल करने के तीन मन्क़ूल त़रीक़ों का ख़ुलासा पेशे ख़िदमत है : (1) कभी दोनों आंखों में तीन तीन सलाइयां (2) कभी दाईं (या'नी सीधी) आंख में तीन और बाईं (या'नी उल्टी) में दो (3) तो कभी दोनों आंखों में दो दो और फिर आख़िर में एक सलाई को सुरमे वाली कर के उसी को बारी बारी दोनों आंखों में लगाइये । (شعب الایمان،۵ /۲۱۸ - ۲۱۹) ٭ इस त़रह़ करने से اِنْ شَآءَ اللّٰہ तीनों पर अ़मल होता रहेगा । ٭ तकरीम (या'नी इ़ज़्ज़त व एह़तिराम) के जितने भी काम होते, सब हमारे प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सीधी जानिब से शुरूअ़ किया करते, लिहाज़ा पहले सीधी आंख में सुरमा लगाइये फिर उल्टी आंख में ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد