Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi
1. मश्हूर मुफ़स्सिरीने क़ुरआन, इमाम फ़ख़रुद्दीन राज़ी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ख़ुदा की क़सम ! खाना खाते वक़्त तह़रीरी काम या मुत़ालआ़ छूट जाने का मुझे बहुत अफ़्सोस होता है क्यूंकि वक़्त निहायत ही क़ीमती दौलत है । (अनमोल हीरे, स. 16 ता 18, मुलख़्ख़सन)
2. ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम अबू ज़करिय्या यह़्या बिन शरफ़ नववी رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ कभी भी अपना वक़्त ज़ाएअ़ न करते थे, न दिन में, न रात में, ह़त्ता कि रास्ते में आते जाते हुवे भी किसी किताब का मुत़ालआ़ या तकरार जारी रखते । इस त़रह़ आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने कई साल इ़ल्म की त़लब में गुज़ारे । आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ ने अवक़ात की तक़्सीम बन्दी की हुई थी, तमाम वक़्त नेकी के कामों में ही ख़र्च होता, किताबें लिखने, तदरीस करने, नवाफ़िल पढ़ने, तिलावते क़ुरआन करने, उमूरे आख़िरत में ग़ौरो फ़िक्र करने, नेकी की दा'वत देने और बुराइयों से मन्अ़ करने के लिये आप رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہ के अवक़ात मुक़र्रर थे । (फै़ज़ाने रियाज़ुस्सालिह़ीन, स. 14, मुलख़्ख़सन)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
वक़्त की क़द्र करने का त़रीक़ा
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! अभी हम ने वक़्त ज़ाएअ़ करने वाले कामों और वक़्त की क़द्र करने वालों के इरशादात सुनने की सआ़दत ह़ासिल की, जिन्हें सुन कर वक़्त की क़द्र करने का जज़्बा पैदा हुवा होगा । इस जज़्बे को मज़ीद परवान चढ़ाने के लिये चन्द ऐसे त़रीके़ सुनते हैं जिन पर अ़मल की बदौलत हमें वक़्त का दुरुस्त इस्ति'माल करने पर साबित क़दमी नसीब हो सकती है । चुनान्चे,
वक़्त के दुरुस्त इस्ति'माल करने के 14 त़रीके़
(1) मोबाइल फ़ोन व इन्टरनेट के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से परहेज़ कीजिये और ज़रूरतन सादा और सस्ता सा मोबाइल इस्ति'माल कीजिये । (2) ह़त्तल इमकान लिख कर गुफ़्तगू की आ़दत डालिये, वरना कम से कम अल्फ़ाज़ में गुफ़्तगू करने की तरकीब बनाइये । (3) वक़्त की क़द्र का जज़्बा बढ़ाने के लिये ख़ुद को ज़ियादा से ज़ियादा नेकी के कामों में मश्ग़ूल रखिये और पूरे दिन का एक जदवल (Schedule) बना लीजिये जिस में फ़ुज़ूल और वक़्त ज़ाएअ़ करने वाले काम शामिल न हों । (4) सुब्ह़ जल्दी उठ कर हो सके तो नमाज़े तहज्जुद अदा कीजिये । (5) घर और बाहर वालों को सदाए मदीना लगा कर नमाज़े फ़ज्र के लिये जगाइये । (6) बा'दे नमाज़े फ़ज्र मदनी ह़ल्के़ में शामिल हो कर क़ुरआने करीम की तीन आयात तर्जमए क़ुरआन कन्ज़ुल ईमान के साथ साथ तफ़्सीरे ख़ज़ाइनुल इ़रफ़ान, नूरुल इ़रफ़ान या सिरात़ुल जिनान पढ़ या सुन कर इस की बरकतें लूटिये । (7) इशराक़ व चाश्त के नवाफ़िल भी अदा कीजिये । (8) नाश्ते से फ़राग़त के बा'द जामिअ़तुल मदीना वग़ैरा में इ़ल्म ह़ासिल कीजिये या अपने घर वालों के लिये अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ रिज़्क़े ह़लाल कमाने में मसरूफ़ रहिये । (9) इस दौरान ज़ोहर और अ़स्र की नमाज़ें बा जमाअ़त अदा कीजिये । (10) नमाज़े मग़रिब बा जमाअ़त अदा करने के बा'द दर्सो बयान में शिर्कत कीजिये, इस के बा'द