Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

Book Name:Waqt Ki Qadr o Qeemat Ma Waqt Zaya Karnay Walay Chand Umoor Ki Nishandahi

मुतअ़ल्लिक़ फ़रामीने अमीरे अहले सुन्नत । ٭ आ़मिलीने मदनी इनआ़मात को अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की दुआ़एं । ٭ मदनी इनआ़मात के बारे में मर्कज़ी मजलिसे शूरा के मदनी फूल । ٭ मदनी इनआ़मात की बरकतें । ٭ मदनी इनआ़मात से मुतअ़ल्लिक़ शरई़ व तन्ज़ीमी एह़तियात़ों पर मुश्तमिल सुवालात । ٭ मुफ़ीद मा'लूमात पर मुश्तमिल सुवालात । ٭ मोबाइल ऐप्लीकेशन के मुतअ़ल्लिक़ मुफ़ीद मा'लूमात और ٭ सामाने मदनी इनआ़मात की फे़हरिस्त वग़ैरा ।

          ٭ اَلْحَمْدُ لِلّٰہ मदनी इनआ़मात अ़मल का जज़्बा बढ़ाने और गुनाहों से पीछा छुड़ाने का बेहतरीन नुस्ख़ा हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल करने वालों से शैख़े त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ बहुत ख़ुश होते और उन्हें दुआ़ओं से नवाज़ते हैं । ٭ मदनी इनआ़मात पर अ़मल की बरकत से ख़ौफे़ ख़ुदा व इ़श्के़ मुस्त़फ़ा की ला ज़वाल दौलत हाथ आती है । ٭ मदनी इनआ़मात का येह अ़ज़ीम तोह़्फ़ा (Gift) बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की याद दिलाता है । ٭ मदनी इनआ़मात बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللّٰہ عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे फ़िक्रे मदीना या'नी अपने आ'माल का मुह़ासबा करने का बेहतरीन ज़रीआ़ है । आइये ! तरग़ीब के लिये एक मदनी बहार सुनिये । चुनान्चे,

रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करने का इनआ़म

          एक इस्लामी भाई एक बार मदनी क़ाफ़िले में सफ़र पर थे, इसी दौरान उन पर बाबे करम खुल गया । हुवा यूं कि रात को जब सोए, तो क़िस्मत अंगड़ाई ले कर जाग उठी, क्या देखते हैं कि जनाबे रिसालत मआब صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ख़्वाब में तशरीफ़ ले आए । अभी जल्वों में ही गुम थे कि लब्हाए मुबारका को जुम्बिश हुई, रह़मत के फूल झड़ने लगे और अल्फ़ाज़ कुछ यूं तरतीब पाए : "जो मदनी क़ाफ़िले में रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करते हैं, मैं उन्हें अपने साथ जन्नत में ले जाऊंगा ।"

 صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!     صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

वक़्त ज़ाएअ़ करने वाले चन्द उमूर

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम में से हर एक को चाहिये कि अपनी ज़िन्दगी के क़ीमती लम्ह़ात फ़ुज़ूल कामों में बरबाद करने के बजाए दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल से वाबस्ता हो कर दुन्या व आख़िरत में कामयाब होने वाले काम करें मगर अफ़्सोस ! कसीर लोग अपना वक़्त ज़ाएअ़ कर के उस पर शर्मिन्दा होने और पछताने के बजाए फ़ख़्र मह़सूस करते हैं । वोह कौन कौन से फ़ुज़ूल काम हैं जिन में मुब्तला हो कर हम अपने क़ीमती लम्ह़ात को ज़ाएअ़ कर रहे हैं और फिर हमें नाकामियों का सामना करना पड़ रहा है । आइये ! उन में से 4 उमूर के बारे में सुनते हैं ।

1﴿...इन्टरनेट (Internet)

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! वक़्त ज़ाएअ़ करने का एक बहुत बड़ा ज़रीआ़ इन्टरनेट भी है । याद रखिये ! इन्टरनेट के दुरुस्त इस्ति'माल से जहां बे शुमार फ़ाइदे ह़ासिल होते हैं, वहीं इस के ग़लत़ और ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल की वज्ह से कई नुक़्सानात का सामना भी करना पड़ता है, उन में