Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

        سُبْحٰنَ اللّٰہ ! क़ुरबान जाइये ! अव्वलीन व आख़िरीन के सरदार और अल्लाह पाक की अ़त़ा से मालिको मुख़्तार होने के बा वुजूद भी आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के शौके़ इ़बादत का येह आ़लम था कि कसरते इ़बादत के सबब क़दमैने शरीफै़न पर सूजन के निशानात ज़ाहिर हो जाते और आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ उम्मत के गुनाहगारों की बख़्शिश की ख़ात़िर आहो ज़ारी फ़रमाया करते । इस में बिल ख़ुसूस उन इस्लामी बहनों के लिये नसीह़त के मदनी फूल मौजूद हैं कि जिन का दिल इ़बादत की जानिब माइल नहीं होता और वोह सारी सारी रात फ़ुज़ूलिय्यात में बरबाद कर देती हैं । लिहाज़ा ऐसों की ख़िदमत में अ़र्ज़ है कि ख़ुदारा ! मोह़सिने इन्सानिय्यत, ग़म ख़्वारे उम्मत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के आंसूओं को याद कीजिये, दुन्या व आख़िरत में काम्याबी पाने के लिये अह़कामे ख़ुदावन्दी की बजा आवरी, नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की सुन्नतों की पैरवी और उख़रवी इनआ़मात पाने की ह़िर्स में ख़ूब ख़ूब नेकियां कीजिये ।

जवानी को बुढ़ापे से पहले ग़नीमत जानो

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! याद रखिये ! जवानी में इ़बादत की तौफ़ीक़ नसीब हो जाना बहुत बड़ी ने'मत है क्यूंकि जवानी की देहलीज़ पर क़दम रखते ही इन्सान, शैत़ान की ख़त़रनाक चालों, नफ़्स की नाजाइज़ ख़्वाहिशों, बुरे दोस्तों की सोह़बतों, दुन्यवी मुस्तक़्बिल बेहतर बनाने की फ़िक्रों और ख़त्म हो जाने वाली दुन्या में खो कर दौलत कमाने के नाजाइज़ त़रीक़ों के सबब गुनाह करता है और इ़बादतो रियाज़त की त़रफ़ माइल नहीं हो पाता ।

          याद रखिये ! हमें बहुत ही थोड़े वक़्त के लिये दुन्या में भेजा गया है और इस वक़्फे़ में क़ब्रो ह़श्र के त़वील तरीन मुआ़मलात के लिये तय्यारी भी करनी है, लिहाज़ा समझदार वोही है जो इस थोड़े से वक़्त को ग़नीमत जानते हुवे क़ब्रो ह़श्र की तय्यारी में मश्ग़ूल हो जाए और अपना क़ीमती वक़्त फ़ुज़ूल कामों में बरबाद न करे क्यूंकि मा'लूम नहीं कि आइन्दा लम्ह़े वोह ज़िन्दा भी रहेगा या मौत उसे लम्बे अ़र्से के लिये गहरी नींद सुला देगी । लिहाज़ा जवानी और ज़िन्दगी को ग़नीमत जानते हुवे नेकियों में मश्ग़ूल हो जाइये ।