Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

          ह़दीसे पाक में इरशाद होता है : पांच चीज़ों को पांच से पहले ग़नीमत जानो । बुढ़ापे से पहले जवानी को, बीमारी से पहले तन्दुरुस्ती को, फ़क़ीरी से पहले अमीरी को, मसरूफ़िय्यत से पहले फ़ुरसत को और मौत से पहले ज़िन्दगी को । (مِشْکَاۃُ المَصَابِیْح،کتاب الرقاق، الفصل الثانی، ۲/۲۴۵، حدیث:۵۱۷۴) अगर हम भी अपनी जवानी को ग़फ़्लत में गंवाने के बजाए क़ब्रो आख़िरत की तय्यारी में मश्ग़ूल हो जाएंगी, तो इस की बरकत से न सिर्फ़ हमारी दुन्या बेहतर होगी बल्कि क़ब्र में भी रब्बे करीम की नवाज़िशों की छमाछम बारिशें होंगी, اِنْ شَآءَ اللّٰہ । आइये ! इस ज़िमन में एक बहुत ही प्यारी ह़िकायत सुनती हैं । चुनान्चे,

दो जन्नतों की ख़ुश ख़बरी

        अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के ज़माने में एक नेक नौजवान मस्जिद में मश्ग़ूले इ़बादत रहता था, जब उस का इन्तिक़ाल हो गया, तो (रातों रात उस के ग़ुस्ल और कफ़न, दफ़्न का इन्तिज़ाम करने के बा'द) सुब्ह़ जिस वक़्त अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूक़े आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ को इस वाक़िए़ की ख़बर दी गई, तो आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ उस के वालिद के पास उस के नेक बेटे के इन्तिक़ाल की ता'ज़ियत के सिलसिले में तशरीफ़ ले गए । (ता'ज़ियत कर लेने के बा'द) आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने इरशाद फ़रमाया : तुम ने मुझे ख़बर क्यूं न दी ? (कि मैं भी उस की नमाज़े जनाज़ा वग़ैरा में शरीक हो जाता) उस ने अ़र्ज़ की : ऐ अमीरल मोमिनीन ! रात (काफ़ी) हो चुकी थी, (लिहाज़ा आप के आराम के पेशे नज़र आप को बताना मुनासिब न समझा गया) तो अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने इरशाद फ़रमाया : मुझे उस नेक नौजवान की क़ब्र के पास ले चलो, लिहाज़ा अमीरुल मोमिनीन, ह़ज़रते सय्यिदुना उ़मर फ़ारूके़ आ'ज़म رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ और आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के साथियों को (उस की) क़ब्र के पास ले जाया गया, तो आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ने पुकारा : ऐ फ़ुलां ! (अल्लाह पाक फ़रमाता है :)

وَ لِمَنْ خَافَ مَقَامَ رَبِّهٖ جَنَّتٰنِۚ(۴۶)(پارہ۲۷،الرحمن:۴۶ )