Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! बयान को इख़्तिताम की त़रफ़ लाते हुवे सुन्नत की फ़ज़ीलत और चन्द सुन्नतें और आदाब बयान करने की सआ़दत
ह़ासिल करती हूं । ताजदारे रिसालत, शहनशाहे नुबुव्वत, मुस्त़फ़ा जाने रह़मत, शम्ए़ बज़्मे हिदायत, नौशए बज़्मे जन्नत صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फ़रमाने जन्नत निशान है : जिस ने मेरी सुन्नत से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने मुझ से मह़ब्बत की, वोह जन्नत में मेरे साथ होगा ।
(مِشْکاۃُ الْمَصابِیح ،ج۱ ص۵۵ حدیث ۱۷۵ دارالکتب العلمیۃ بیروت )
सीना तेरी सुन्नत का मदीना बने आक़ा
जन्नत में पड़ोसी मुझे तुम अपना बनाना
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आइये ! शैखे़ त़रीक़त, अमीरे अहले सुन्नत, बानिये दा'वते इस्लामी, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी रज़वी ज़ियाई دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "163 मदनी फूल" से खाना खाने की सुन्नतें और आदाब सुनती हैं । पहले दो फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ मुलाह़ज़ा हों :
- सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ कई रातें मुसल्सल फ़ाक़ा फ़रमाते । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के अहले ख़ाना को रात की रोटी मुयस्सर न आती और अक्सर जव की रोटी खाते । (ترمذی،کتاب الزھد،۴ /۱۶۰، حدیث: ۲۳۶۷)
- इरशाद फ़रमाया : मेरे रब्बे करीम ने मेरे लिये इरशाद फ़रमाया : मेरे वासिते़ मक्कए मुकर्रमा के पहाड़ों को सोने का बना दिया जाए मगर मैं ने अ़र्ज़ किया : या अल्लाह करीम ! मुझे तो येह पसन्द है कि अगर एक दिन खाऊं, तो दूसरे दिन भूका रहूं ताकि जब भूका रहूं, तो तेरी त़रफ़ गिर्या व ज़ारी करूं और तुझे याद करूं और जब खाऊं, तो तेरा शुक्र व ह़म्द करूं । (ترمذی،کتاب الزھد،۴/۱۵۵، حدیث:۲۳۵۴)