Jawani Me Ibadat kay Fazail

Book Name:Jawani Me Ibadat kay Fazail

(الترغیب فی فضائل الاعمال و ثواب ذلک،ص۷۸،حدیث:۲۲۸)

बहत्तर सिद्दीक़ीन के सवाब का ह़क़दार

  1. इरशाद फ़रमाया : जिस नौजवान ने दुन्या की लज़्ज़त और इस के ऐ़शो इ़शरत को छोड़ दिया और अपनी जवानी में अल्लाह करीम की फ़रमां बरदारी की जानिब पेश क़दमी की तो, अल्लाह करीम उस ख़ुश नसीब को बहत्तर सिद्दीक़ीन के बराबर सवाब अ़त़ा फ़रमाएगा ।

(کنزالعمال، کتاب المواعظ والرقائق...الخ،الفصل الاول،الترغیب الاحادی من الاقوال،الجزء: ۱۵،۸/۳۳۲ ،حدیث:۴۳۰۹۹)

अल्लाह करीम का ह़क़ीक़ी बन्दा

  1. इरशाद फ़रमाया : बेशक अल्लाह करीम अपनी मख़्लूक़ में उस ख़ूब सूरत नौजवान को सब से ज़ियादा पसन्द फ़रमाता है कि जिस ने अपनी जवानी और हु़सनो जमाल को अल्लाह करीम की इ़बादत में सर्फ़ कर दिया । अल्लाह करीम फ़िरिश्तों के सामने ऐसे बन्दे पर फ़ख़्र करते हुवे इरशाद फ़रमाता है कि येह मेरा ह़क़ीक़ी बन्दा है ।

)کنزالعمال،الفصل الاول،کتاب المواعظ والرقائق والخطب و الحکم،الترغیب الاحادی من الاقوال،الجزء: ۱۵،۸/۳۳۲ حدیث:۴۲۰۹۶(

अल्लाह करीम का मह़बूब बन्दा

  1. इरशाद फ़रमाया : बेशक अल्लाह करीम उस नौजवान से मह़ब्बत फ़रमाता है कि जिस ने अपनी जवानी को अल्लाह पाक की फ़रमां बरदारी में मिटा दिया हो । (حلیۃ الاولیاء،عبد الملک بن عمر بن عبد العزیز،۵/۳۹۴،حدیث:۷۴۹۶)

तू अपनी विलायत की ख़ैरात दे दे

मेरे ग़ौस का वासित़ा या इलाही

(वसाइले बख़्शिश, स. 105)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!      صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد