Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa
(2) जितनी अच्छी निय्यतें ज़ियादा, उतना सवाब भी ज़ियादा ।
मौक़अ़ की मुनासबत और नौइ़य्यत के ए'तिबार से निय्यतों में कमी बेशी व तब्दीली की जा सकती है । ٭ निगाहें नीची किये ख़ूब कान लगा कर बयान सुनूंगी । ٭ टेक लगा कर बैठने के बजाए इ़ल्मे दीन की ता'ज़ीम की ख़ात़िर जहां तक हो सका दो ज़ानू बैठूंगी । ٭ ज़रूरतन सिमट सरक कर दूसरी इस्लामी बहनों के लिये जगह कुशादा करूंगी । ٭ धक्का वग़ैरा लगा, तो सब्र करूंगी, घूरने, झिड़कने और उलझने से बचूंगी । ٭ اُذْکُرُوااللّٰـہَ، تُوبُوْا اِلَی اللّٰـہِ صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْبِ، वग़ैरा सुन कर सवाब कमाने और सदा लगाने वाली की दिलजूई के लिये पस्त आवाज़ से जवाब दूंगी । ٭ इजतिमाअ़ के बा'द ख़ुद आगे बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा और इनफ़िरादी कोशिश करूंगी । ٭ दौराने बयान मोबाइल के ग़ैर ज़रूरी इस्ति'माल से बचूंगी, न बयान रीकॉर्ड करूंगी, न ही और किसी क़िस्म की आवाज़ (कि इस की इजाज़त नहीं) । जो कुछ सुनूंगी, उसे सुन और समझ कर, उस पे अ़मल करने और उसे बा'द में दूसरों तक पहुंचा कर नेकी की दा'वत आम करने की सआदत ह़ासिल करूंगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मक्तबतुल मदीना की बहुत ही प्यारी किताब जिस में बुज़ुर्गों के बहुत दिलचस्प वाक़िआ़त हैं, इस किताब का नाम है "उ़यूनुल ह़िकायात" इस किताब का एक दिलचस्प वाक़िआ़ सुनिये और ईमान ताज़ा कीजिये । चुनान्चे,
ह़ज़रते सय्यिदुना ख़ुल्द बिन अय्यूब رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : बनी इसराईल के एक आ़बिद ने पहाड़ की चोटी पर साठ साल तक अल्लाह करीम की इ़बादत की । एक रात उस ने ख़्वाब देखा कि कोई कहने वाला कह रहा है : फ़ुलां मोची तुझ से ज़ियादा इ़बादत गुज़ार है और उस का मर्तबा तुझ से