Fazilat Ka Maiyar Taqwa

Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa

रिसाले में दिये हुवे सुवालात पढ़े, तो उन की ह़ैरत की इन्तिहा न रही क्यूंकि उस में ऐसी ऐसी नेकियों की तरग़ीब दिलाई गई थी कि जिन से वोह यक्सर ग़ाफ़िल थीं । इस के बा'اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ उन्हों ने मदनी इनआ़मात पर अ़मल को अपनी ज़िन्दगी का मा'मूल बना लिया, जिस की बरकत से उन्हें नमाज़ों की पाबन्दी नसीब हुई, नेकियों से मह़ब्बत हुई और गुनाहों से बचने का ज़ेह्न बना । اَلْحَمْدُلِلّٰہ عَزَّوَجَلَّ अब वोह मुबल्लिग़ए दा'वते इस्लामी की ह़ैसिय्यत से मदनी कामों में तरक़्क़ी व उ़रूज के लिये कोशां हैं । अल्लाह عَزَّوَجَلَّ अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرْکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ पर अपनी ख़ास रह़मतों का नुज़ूल फ़रमाए और दा'वते इस्लामी को तरक़्क़ी व उ़रूज अ़त़ा फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ

(अनोखी कमाई, स. 27)

        अगर आप को भी दा'वते इस्लामी के मदनी माह़ोल के ज़रीए़ कोई मदनी बहार या बरकत मिली हो, तो आख़िर में मदनी बहार मक्तब पर जम्अ़ करवा दें ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!  صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! आइये ! अब हम तक़्वे की लुग़्वी व शरई़ ता'रीफ़ और इस की क़िस्मों से मुतअ़ल्लिक़ सुनती हैं और साथ साथ येह निय्यत भी करती हैं कि गुनाहों से बचती रहेंगी और तक़्वा व परहेज़गारी इख़्तियार करेंगी । اِنْ شَآءَ اللہ

तक़्वा किसे कहते हैं ?

          तक़्वा का मा'ना है : "नफ़्स को ख़ौफ़ की चीज़ से बचाना" और शरीअ़त की इस्त़िलाह़ में तक़्वा का मा'ना है : "नफ़्स को हर उस काम से बचाना जिसे करने या न करने से कोई शख़्स अ़ज़ाब का ह़क़दार हो" जैसे कुफ़्रो शिर्क, कबीरा गुनाहों, बे ह़याई के कामों से अपने आप को बचाना, ह़राम चीज़ों को छोड़ देना