Fazilat Ka Maiyar Taqwa

Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa

इमाम मुह़म्मद ग़ज़ाली رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं कि मैं क़ुरआने करीम से तक़्वा के बारह फ़वाइद बयान करता हूं : (1) मुत्तक़ी शख़्स की रब्बे करीम ह़म्दो सना करता है । (2) मुत्तक़ी शख़्स, दुश्मनों से मामून व मह़फ़ूज़ रहता है ।

(3) मुत्तक़ी शख़्स की अल्लाह पाक ताईद व इमदाद फ़रमाता है । (4) मुत्तक़ी शख़्स आख़िरत की हौलनाकियों और वहां की सख़्तियों से नजात में रहेगा । (5) दुन्या में मुत्तक़ी शख़्स को रिज़्के़ ह़लाल नसीब होगा । (6) मुत्तक़ी शख़्स के आ'माल की इस्लाह़ हो जाएगी । (7) तक़्वा की बरकत से मुत्तक़ी शख़्स के तमाम गुनाह मुआ़फ़ हो जाते हैं । (8) मुत्तक़ी शख़्स, अल्लाह पाक का दोस्त बन जाता है । (9) तक़्वा से मुत्तक़ी शख़्स के आ'माल दरजए क़बूलिय्यत को पहुंचते हैं । (10) मुत्तक़ी शख़्स, अल्लाह पाक के हां ए'ज़ाज़ो इकराम का ह़क़दार हो जाता है । (11) मुत्तक़ी शख़्स के लिये मौत के वक़्त दीदारे इलाही और आख़िरत में नजात की बिशारत (या'नी ख़ुश ख़बरी) दी जाती है । (12) मुत्तक़ी लोग, आतशे दोज़ख़ से मह़फ़ूज़ रहेंगे और उन्हें हमेशा के लिये जन्नत में रहने की सआ़दत नसीब होगी । (मिन्हाजुल आ़बिदीन, स. 144 ता 148, माख़ूज़न व मुल्तक़त़न)

मुत्तक़ी की दुआ़एं क़बूल होती हैं

        मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! जब किसी के सीने में तक़्वा व परहेज़गारी की शम्अ़ रौशन हो जाती है, तो अगर्चे वोह काली रंगत वाला ही क्यूं न हो, उस के तो वारे ही नियारे हो जाते हैं, उस के मुंह से निकले हुवे अल्फ़ाज़ इस क़दर तासीर वाले होते हैं कि निकलते ही ह़क़ीक़त का रूप धार लेते हैं, ह़त्ता कि तक़्वा व परहेज़गारी का येह पैकर अगर लक्ड़ी जैसी मा'मूली चीज़ को भी सोना बनाने के लिये बारगाहे इलाही में दरख़ास्त कर दे, तो अल्लाह पाक इस की पुकार को रद्द नहीं फ़रमाता और उस लक्ड़ी को भी सोना बना देता है ताकि लोगों को मा'लूम हो जाए कि येह कोई मा'मूली इन्सान नहीं बल्कि कोई पहुंची