Fazilat Ka Maiyar Taqwa

Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa

और उस के रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के सिपुर्द कर दे, आज तक जितने मुसलमानों को ह़क़ीर समझ कर उन की दिल आज़ारी का गुनाह अपने सर लिया, अगर मुमकिन हो, तो उन्हें तलाश कर के उन से मुआ़फ़ी तलाफ़ी की तरकीब बनाए, साथ साथ बारगाहे इलाही में भी तौबा व इस्तिग़फ़ार बजा ला कर इस आफ़त से छुटकारा पाने के लिये दुआ़ भी करता रहे ।

ख़बरदार ! ख़बरदार ! अगर किसी मुत्तक़ी मुसलमान को ब ज़ाहिर ख़िलाफे़ मुरव्वत काम करता देखे, तो हरगिज़ दिल में बद गुमानी न करे कि इस त़रह़ किसी क़िस्म का फ़ाइदा मिलना तो दूर की बात है, अक्सर शर्मिन्दगी ही उठानी पड़ती है । आइये ! इस सिलसिले में दो सबक़ आमोज़ ह़िकायात सुनते हैं और इ़ब्रत के मदनी फूल चुनते हैं । चुनान्चे,

क्या येह भी मुझ से बेहतर हो सकता है ?

          ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम ह़सन बसरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस क़दर आ़जिज़ी करने वाले थे कि हर फ़र्द को अपने से बेहतर तसव्वुर करते । इस का सबब येह हुवा कि एक दिन दरयाए दजला पर किसी ह़ब्शी को औ़रत के साथ इस त़रह़ शराब नोशी में मुब्तला देखा कि शराब की बोतल उस के सामने थी । उस वक़्त आप को येह तसव्वुर हुवा कि क्या येह भी मुझ से बेहतर हो सकता है ? क्यूंकि येह तो शराबी है । इसी दौरान एक किश्ती सामने आई जिस में सात अफ़राद थे और वोह ग़र्क़ हो गई, येह देख कर ह़ब्शी पानी में कूद गया और छे अफ़राद को एक एक कर के निकाला फिर उस ने आप (رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ) से अ़र्ज़ की : आप सिर्फ़ एक ही की जान बचा लें, मैं तो येह इम्तिह़ान ले रहा था कि आप की चश्मे बात़िन (या'नी दिल की आंख) खुली हुई है या नहीं ! और येह औ़रत जो मेरे पास है, मेरी वालिदा हैं और इस बोतल में सादा पानी है । येह सुनते ही आप (رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ) इस यक़ीन के साथ कि येह तो कोई ग़ैबी शख़्स है, उस के क़दमों में गिर पड़े और ह़ब्शी से कहा कि जिस त़रह़ तू ने छे अफ़राद की जान बचाई, इसी त़रह़ तकब्बुर से मेरी जान भी बचा ले । उस ने दुआ़ की, कि