Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa
जाता है, बिल ख़ुसूस ज़मीनदारों को चाहिये कि उ़श्र के बारे में मा'लूमात के लिये दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना के रिसाले "उ़श्र के अह़काम" और "चन्दा करने की शरई़ एह़तियात़ें" का लाज़िमी मुत़ालआ़ करें, शरीअ़त के मुत़ाबिक़ अपनी फ़सलों की ज़कात निकालने के बारे में दारुल इफ़्ता अहले सुन्नत से ज़रूर रहनुमाई ह़ासिल करें ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! दा'वते इस्लामी के इशाअ़ती इदारे मक्तबतुल मदीना के रिसाले "मज़ाराते औलिया की ह़िकायात" से मज़ारात पर ह़ाज़िरी का त़रीक़ा और इस के आदाब सुनते हैं । चुनान्चे,
٭ औलियाए किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن के मज़ाराते त़य्यिबात पर ह़ाज़िरी देने और उन से फै़ज़ लेने का बुज़ुर्गों का मा'मूल रहा है । जैसा कि
फ़िक़्हे ह़म्बली के पैरोकारों के शैख़, इमाम ख़ल्लाल رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मुझे जब भी कोई मुआ़मला दरपेश होता है, मैं इमाम मूसा काज़िम बिन जा'फ़रे सादिक़ رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के मज़ार पर ह़ाज़िर हो कर आप का वसीला पेश करता हूं, अल्लाह करीम मेरी मुश्किल को आसान कर के मुझे मेरी मुराद अ़त़ा फ़रमा देता है । (تاریخ بغداد،۱ / ۱۳۳) ٭ ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम शाफे़ई़ رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मुझे जब कोई ह़ाजत पेश आती है, दो रक्अ़त नमाज़ अदा कर के इमामे आ'ज़म अबू ह़नीफ़ा رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ के मज़ारे पुर अन्वार पर जा कर दुआ़ मांगता हूं, अल्लाह करीम मेरी ह़ाजत पूरी कर देता है । (الخیرات الحِسان، ص ۲۳۰)
ए'लान
मज़ारात पर ह़ाज़िरी से मुतअ़ल्लिक़ बक़िय्या आदाब तरबिय्यती ह़ल्क़ों में बयान किये जाएंगे, लिहाज़ा इन आदाब को जानने के लिये तरबिय्यती ह़ल्क़ों में ज़रूर शिर्कत कीजिये ।