Fazilat Ka Maiyar Taqwa

Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa

ले कर जाग उठी, क्या देखते हैं कि जनाबे रिसालते मआब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ख़्वाब में तशरीफ़ ले आए । अभी जल्वों में ही गुम थे कि लब्हाए मुबारका को जुम्बिश हुई, रह़मत के फूल झड़ने लगे और अल्फ़ाज़ कुछ यूं तरतीब पाए : "जो मदनी क़ाफ़िले में रोज़ाना फ़िक्रे मदीना करते हैं, मैं उन्हें अपने साथ जन्नत में ले जाऊंगा ।"

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!  صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

       मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! आइये ! अब हम तक़्वे की लुग़्वी व शरई़ ता'रीफ़ और इस की क़िस्मों से मुतअ़ल्लिक़ सुनते हैं और साथ साथ येह निय्यत भी करते हैं कि इस की बरकत से गुनाहों से बचते हुवे अपने आप को तक़्वा व परहेज़गारी का पैकर बनाएंगे । اِنْ شَآءَ اللہ

तक़्वा किसे कहते हैं ?

          तक़्वा का मा'ना है : "नफ़्स को ख़ौफ़ की चीज़ से बचाना" और शरीअ़त की इस्त़िलाह़ में तक़्वा का मा'ना है : "नफ़्स को हर उस काम से बचाना जिसे करने या न करने से कोई शख़्स अ़ज़ाब का ह़क़दार हो" जैसे कुफ़्रो शिर्क, कबीरा गुनाहों, बे ह़याई के कामों से अपने आप को बचाना, ह़राम चीज़ों को छोड़ देना और फ़राइज़ को अदा करना वग़ैरा और येह भी कहा गया है कि तक़्वा येह है कि तेरा रब्बे करीम तुझे वहां न पाए जहां उस ने मन्अ़ फ़रमाया है ।

(تفسیرخازن،پ۱، البقرۃ، تحت الآیۃ: ۲، ۱ / ۲۲ملخصاً)

          ह़ज़रते सय्यिदुना सुफ़्यान सौरी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ फ़रमाते हैं : परहेज़गारों को मुत्तक़ी इस लिये कहा जाता है कि वोह ऐसी चीज़ों से भी बचते हैं जिन से बचना उ़मूमन दुशवार होता है । ( در منثور ،پ۱،البقرۃ،تحت الآیۃ:۲،۱  / ۶۱)

          किसी शाइ़र का कहना है : जो शख़्स अल्लाह पाक से डरता है, वोही फ़ाइदे वाली चीज़ ह़ासिल करता है । क़ब्र में इन्सान के साथ सिर्फ़ तक़्वा और नेक आ'माल ही जाते हैं । (मिन्हाजुल आ़बिदीन, स. 150, मुलख़्ख़सन)

          आइये ! अब तक़्वे की क़िस्मों से मुतअ़ल्लिक़ सुनते हैं । चुनान्चे,