Fazilat Ka Maiyar Taqwa

Book Name:Fazilat Ka Maiyar Taqwa

अह़ादीसे रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ में तो बिला वज्हे शरई़ मुसलमानों का मज़ाक़ उड़ाने और बुरे अल्क़ाबात से पुकारने की मुमानअ़त फ़रमाई गई है । चुनान्चे, पारह 26, सूरतुल ह़ुजुरात की आयत नम्बर 11 में इरशादे रब्बानी है :

یٰۤاَیُّهَا الَّذِیْنَ اٰمَنُوْا لَا یَسْخَرْ قَوْمٌ مِّنْ قَوْمٍ عَسٰۤى اَنْ یَّكُوْنُوْا خَیْرًا مِّنْهُمْ وَ لَا نِسَآءٌ مِّنْ نِّسَآءٍ عَسٰۤى اَنْ یَّكُنَّ خَیْرًا مِّنْهُنَّۚ-وَ لَا تَلْمِزُوْۤا اَنْفُسَكُمْ وَ لَا تَنَابَزُوْا بِالْاَلْقَابِؕ-بِئْسَ الِاسْمُ الْفُسُوْقُ بَعْدَ الْاِیْمَانِۚ-وَ مَنْ لَّمْ یَتُبْ فَاُولٰٓىٕكَ هُمُ الظّٰلِمُوْنَ(۱۱)(پ۲۶،الحجرات:۱۱)

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ इमान वालो ! मर्द दूसरे मर्दों पर न हंसें, हो सकता है कि वोह उन हंसने वालों से बेहतर हों और न औ़रतें दूसरी औ़रतों पर हंसें, हो सकता है कि वोह उन हंसने वालियों से बेहतर हों और आपस में किसी को त़ा'ना न दो और एक दूसरे के बुरे नाम न रखो, मुसलमान होने के बा'द फ़ासिक़ कहलाना क्या ही बुरा नाम है और जो तौबा न करें, तो वोही ज़ालिम हैं ।

        इस आयते मुक़द्दसा के तह़्त "तफ़्सीरे ख़ाज़िन" में है कि ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : ह़ज़रते साबित बिन कै़स رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ ऊंचा सुनते थे, जब वोह सरकारे दो आ़लम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मजलिस शरीफ़ में ह़ाज़िर होते, तो सह़ाबए किराम رَضِیَ اللہُ تَعَالٰی عَنْہُم उन्हें आगे बिठाते और उन के लिये जगह ख़ाली कर देते ताकि वोह ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के क़रीब ह़ाज़िर रह कर कलामे मुबारक सुन सकें । एक रोज़ उन्हें ह़ाज़िरी में देर हो गई और जब मजलिस शरीफ़ ख़ूब भर गई उस वक़्त आप तशरीफ़ लाए और क़ाइ़दा येह था कि जो शख़्स ऐसे वक़्त आता और मजलिस में जगह न पाता, तो जहां होता वहीं खड़ा रहता लेकिन ह़ज़रते साबित رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ आए, तो वोह रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के क़रीब बैठने के लिये लोगों को हटाते हुवे येह कहते चले कि "जगह दो जगह" यहां तक कि ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के इतने क़रीब पहुंच गए कि उन के और