Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat

Book Name:Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat

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صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                             صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد

ह़-सनैने करीमैन के फ़ज़ाइल अह़ादीस की रौशनी में

          मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! नबिय्ये करीम, रऊफ़ुर्रह़ीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने मुख़्तलिफ़ मवाके़अ़ पर इन ह़ज़रात की ऐसी शानो अ़ज़मत बयान फ़रमाई है जिसे सुन कर اِنْ شَآءَ اللّٰہ हमारे दिल में ह़-सनैने करीमैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا की मह़ब्बत बढ़ेगी । आइये ! इन की शानो अ़ज़मत से मुतअ़ल्लिक़ चन्द फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ सुनते हैं । चुनान्चे,

1- इरशाद फ़रमाया : مَنْ اَحَبَّ الْحَسَنَ وَالْحُسَیْنَ فَقَدْ اَحَبَّنِیْ وَمَنْ اَبْغَضَھُمَا فَقَدْ اَبْغَضَنِیْ जिस ने इन दोनों से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने इन से दुश्मनी की, उस ने मुझ से दुश्मनी की ।

(ابن ماجہ، کتاب السنۃ، باب فی فضائل اصحاب رسول اللّٰہ، ۱   /   ۹۶،  حدیث:۱۴۳)

2- इरशाद फ़रमाया : هُمَا رَيْحَانَتَايَ مِنَ الدُّنْيَا ह़सन व ह़ुसैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا दुन्या में मेरे दो फूल हैं । (بخاری، کتاب فضائل اصحاب النبی، باب مناقب الحسن والحسین،  الحدیث:۳۷۵۳، ج۲، ص۵۴۷)

3- इरशाद फ़रमाया : اَلْحَسَنُ وَالْحُسَيْنُ سَيِّدَا شَبَابِ اَهْلِ الْجَنَّةِ ह़सन और ह़ुसैन (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا) जन्नती नौजवानों के सरदार हैं । (ترمذی ، ج۵، ص۴۲۶، ح۳۷۹۳)

ह़-सनैने करीमैन से मह़ब्बत वाजिब है

          ह़ज़रते सय्यिदुना अ़ब्दुल्लाह बिन अ़ब्बास رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا फ़रमाते हैं : जब (पारह 25, सूरतुश्शूरा की) येह आयते मुबारका नाज़िल हुई : (پ۲۵، الشُّوریٰ:۲۳) قُلْ لَّاۤ اَسْــٴَـلُكُمْ عَلَیْهِ اَجْرًا اِلَّا الْمَوَدَّةَ فِی الْقُرْبٰىؕ (तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तुम फ़रमाओ : मैं इस पर तुम से कोई मुआवज़ा त़लब नहीं करता मगर क़राबत की मह़ब्बत) । तो सह़ाबए किराम عَلَیْہِمُ الرِّضْوَان ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی