Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat

Book Name:Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat

ह़ुसैन (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا) । आप صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, ह़ज़रते सय्यिदुना फ़ात़िमतुज़्ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا से फ़रमाया करते कि "मेरे बच्चों को मेरे पास बुलाओ ।" फिर उन्हें सूंघते और अपने साथ चिमटा लेते थे ।

 (ترمذی، كتاب المناقب عن رسول الله، باب مناقب الحسن والحسین،  ج۵، ص ۴۲۸حدیث:۳۷۹۷)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ इस ह़दीसे पाक की शर्ह़ में फ़रमाते हैं : मह़ब्बत की बहुत क़िस्में हैं । औलाद से मह़ब्बत और क़िस्म की है, अज़्वाज (या'नी बीवियों) से और क़िस्म की, दोस्तों से और क़िस्म की । औलाद में ह़ज़राते ह़-सनैन (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا) बहुत प्यारे हैं, अज़्वाज (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُنَّ اَجْمَعِیْن) में ह़ज़रते (सय्यिदतुना) आइशा सिद्दीक़ा, मह़बूबए मह़बूबे रब्बुल आलमीन (या'नी अल्लाह पाक के मह़बूब صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ की मह़बूबा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھَا) हैं, दोस्त व अह़बाब में (अमीरुल मोमिनीन) ह़ज़रते (सय्यिदुना) अबू बक्र सिद्दीक़ رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ बहुत प्यारे हैं । मज़ीद फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) उन्हें क्यूं न सूंघते, वोह दोनों तो ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ) के फूल थे, फूल सूंघे ही जाते हैं, उन्हें कलेजे से लगाना, लिपटाना इन्तिहाई मह़ब्बत व प्यार के लिये था । इस से मा'लूम हुवा कि छोटे बच्चों को सूंघना, उन से प्यार करना, उन्हें लिपटाना, चिमटाना सुन्नते रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ है । (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 418)

          आइये ! हम भी इन ह़ज़रात की मह़ब्बत को अपने दिल में मज़ीद पुख़्ता करने और इन की सीरत व किरदार पर अ़मल करने की निय्यत से इन का ज़िक्रे खै़र सुनते हैं ।

नाम व कुन्यत और अल्क़ाब

          ह़-सनैने करीमैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُمَا में से बड़े ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे ह़सने मुज्तबा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ हैं । आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की कुन्यत "अबू मुह़म्मद" है और लक़ब "तक़ी और सय्यिद" जब कि उ़र्फ़ "सिब्त़ु रसूलिल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ