Book Name:Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat
शे'र की वज़ाह़त : वोह इमामे ह़सने मुज्तबा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ जो सख़ियों के सरदार हैं, जो अपने नानाजान, मह़बूबे रह़मान صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ के प्यारे कन्धों पर सुवार होते थे, उन की ज़ाते मुबारक पर लाखों सलाम ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ के छोटे भाई, सय्यिदुश्शुहदा, राकिबे दोशे मुस्त़़फ़ा, ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे ह़ुसैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की विलादत 5 शा'बानुल मुअ़ज़्ज़म सिने 4 हिजरी को मदीनए मुनव्वरा زَادَہَا اللّٰہُ شَرَفًا وَّتَعْظِیْمًا में हुई । आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ का नाम ह़ुज़ूरे पुरनूर, शाफ़ेए़ यौमुन्नुशूर صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने "ह़ुसैन" और "शब्बीर" रखा जब कि आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ की कुन्यत "अबू अ़ब्दुल्लाह" और आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ का लक़ब भी "सिब्त़ु रसूलिल्लाह" (या'नी रसूलुल्लाह صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का नवासा) और "रैह़ानतुर्रसूल" (या'नी रसूल صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ का फूल) है । अपने बड़े भाई की त़रह़ आप رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ भी जन्नती जवानों के सरदार हैं ।
(اسد الغابة، باب الحاء والحسین، ۱۱۷۳۔ الحسین بن علی، ص۲۵، ۲۶ملتقطاًوسیر اعلام النبلاء، ۲۷۰۔الحسین الشہید...الخ، ج۴، ص۴۰۲۔۴۰۴)
मीठे मीठे इस्लामी भाइयो ! अभी हम ने सुना कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने अपने प्यारे नवासों के नाम ख़ुद तज्वीज़ फ़रमाए । आइये ! इसी ज़िमन में नाम रखने के कुछ आदाब भी सुन लीजिये ।
याद रहे ! अच्छे नाम रखना औलाद के ह़ुक़ूक़ में से है और वालिदैन की त़रफ़ से अपने बच्चे के लिये सब से पहला और बुन्यादी तोह़फ़ा भी है, जिसे वोह उ़म्र भर अपने सीने से लगाए रखता है, यहां तक कि जब मैदाने ह़श्र क़ाइम होगा, तो वोह उसी नाम से रब्बे करीम के ह़ुज़ूर बुलाया जाएगा । जैसा कि ह़ज़रते सय्यिदुना अबू दर्दा رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से मरवी है कि ह़ुज़ूरे पाक, साह़िबे