Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat

Book Name:Hasanain-e-Karimain ki Shan-o-Azmat

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : ऐ नबी के घर वालो ! अल्लाह तो येही चाहता है कि तुम से हर नापाकी दूर फ़रमा दे और तुम्हें पाक कर के ख़ूब साफ़ सुथरा कर दे ।

          अक्सर मुफ़स्सिरीने किराम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہِمْ اَجْمَعِیْن की राए है कि येह आयते मुबारका ह़ज़रते सय्यिदुना अ़लिय्युल मुर्तज़ा, ह़ज़रते सय्यिदा फ़ात़िमा ज़हरा, ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे ह़सन और ह़ज़रते सय्यिदुना इमामे ह़ुसैन     رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُم اَجْمَعِیْن के ह़क़ में नाज़िल हुई । ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम अह़मद رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने ह़ज़रते सय्यिदुना अबू सई़द ख़ुदरी رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہ से रिवायत की है कि येह आयत पंजतने पाक की शान में नाज़िल हुई । "पंजतन" से मुराद ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ, ह़ज़रते अ़ली, ह़ज़रते फ़ात़िमा, ह़ज़रते इमामे ह़सन और ह़ज़रते इमामे ह़ुसैन رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْھُم हैं ।

(सवानह़े करबला, स. 79, 80, मुल्तक़त़न)

          एक रिवायत में येह भी है कि ह़ुज़ूर जाने आलम صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ने इन ह़ज़रात के साथ अपनी बाक़ी साह़िब ज़ादियों और क़राबत दारों और अज़्वाजे मुत़हहरात को भी शामिल फ़रमाया ।

 (الصواعق المحرقۃ،  الباب الحادی عشر،  الفصل الاول،  ص۱۴۴)

          आयते मुबारका की तफ़्सीर करते हुवे ह़ज़रते सय्यिदुना इमाम त़बरी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : या'नी ऐ आले मुह़म्मद صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلَیْہِ واٰلِہٖ وَسَلَّمَ ! अल्लाह करीम चाहता है कि तुम से बुरी बातों और फ़ोह़श चीज़ों को दूर रखे और तुम्हें गुनाहों के मैल कुचैल से पाको साफ़ कर दे ।

 (طبری ، پ ۲۲، الاحزاب، تحت الآیۃ۳۳ ، ج۱۰ص۲۹۶)

          सदरुल अफ़ाज़िल, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना सय्यिद मुफ़्ती मुह़म्मद नई़मुद्दीन मुरादाबादी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ फ़रमाते हैं : येह आयते करीमा अहले बैते किराम (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُم اَجْمَعِیْن) के फ़ज़ाइल का चश्मा है और मा'लूम होता है कि तमाम अख़्लाके़ दनिय्या व अह़वाले मज़मूमा (या'नी बुरे अख़्लाक़ व अह़वाल) से उन की तत़्हीर फ़रमाई गई (या'नी उन्हें बुरे अख़्लाक़ से मह़फ़ूज़ रखा गया) । बा'ज़ अह़ादीस में मरवी है कि अहले बैत (رَضِیَ اللّٰہُ تَعَالٰی عَنْہُم اَجْمَعِیْن) नार (या'नी