Book Name:Bahan Bhaiyon Ke Sath Husne Sulook
मदनी तरबिय्यत का ऐसा एहतिमाम करें कि हर कोई उन के बच्चों की ता'रीफ़ करे कि कितने बा अख़्लाक़ बच्चे हैं ! हर एक से बढ़ कर सलाम व मुसाफ़ह़ा करते हैं ! मुस्कुरा कर बात करते हैं ! हर काम के लिये ख़ुशी ख़ुशी तय्यार रहते हैं !
याद रखिये ! बच्चे अपने वालिदैन की तरबिय्यत और नक़्शे क़दम पर चलते हैं । अगर वालिदैन अपने बहन, भाइयों और रिश्तेदारों के साथ मेल जोल नहीं रखते, उन के साथ ह़ुस्ने सुलूक से पेश नहीं आते, अपने बहन भाइयों के घर कई कई महीने तक नहीं जाते, तो उन के बच्चे भी आपस में अपने बहन भाइयों के साथ इत्तिफ़ाक़, इत्तिह़ाद से नहीं रहते, लिहाज़ा वालिदैन को चाहिये कि अपने बहन, भाइयों और रिश्तेदारों से ह़ुस्ने सुलूक से पेश आएं, उन की ख़ुशी, ग़मी में शरीक हों ताकि उन के बच्चे भी वालिदैन की देखा देखी अपने बहन भाइयों के साथ मिल जुल कर रहें और इस त़रह़ एक ख़ुश ह़ाल ख़ानदान में ना इत्तिफ़ाक़ी और लड़ाई, झगड़े की नौबत नहीं आएगी ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ تَعَالٰی عَلٰی مُحَمَّد
मीठी मीठी इस्लामी बहनो ! हमारे बुज़ुर्गाने दीन अपने बहन भाइयों के साथ ह़ुस्ने सुलूक करते, अपने दिल में उन के लिये नर्मी व मह़ब्बत रखते, उन की ज़रूरिय्यात का ख़याल रखते और अगर कोई उन की इन मह़ब्बतों को तोड़ने की कोशिश करता, तो वोह इस शैत़ानी वारों को नाकाम बना देते और सामने वाले को ऐसा जवाब देते कि वोह मायूस हो कर लौट जाता । चुनान्चे,
मेरे आक़ा आ'ला ह़ज़रत, इमामे अहले सुन्नत, अ़ज़ीमुल बरकत, इमाम अह़मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ अपने छोटे भाई मौलाना मुह़म्मद रज़ा ख़ान से बड़ी मह़ब्बत फ़रमाते थे । एक बार मौलाना मुह़म्मद रज़ा ख़ान رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने अपनी ज़ौजा के लिये सोने के कंगन बनवाए, किसी चुग़ल ख़ोर ने आ'ला ह़ज़रत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ से इस बात का तज़किरा किया, तो इमामे अहले सुन्नत رَحْمَۃُ اللّٰہ ِتَعَالٰی عَلَیْہ ने बड़ा ख़ूब सूरत जवाब देते हुवे इरशाद फ़रमाया : अगर (मेरे