Yazeediyon Ka Bura Kirdar

Book Name:Yazeediyon Ka Bura Kirdar

सरकार की मह़ब्बत पाने का नुस्ख़ा

          ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है कि एक मरतबा नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم हमारे पास तशरीफ़ लाए, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के हमराह ह़सनैने करीमैन رَضِیَ اللّٰہُ  عَنْھُمَا भी थे, उन में से एक दाएं कन्धे पर और दूसरे बाएं कन्धे पर सुवार थे, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم दोनों को बारी बारी चूम रहे थे । एक शख़्स ने अ़र्ज़ की : या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! आप इन से मह़ब्बत फ़रमाते हैं ? आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : हां ! जिस ने इन से मह़ब्बत की, उस ने मुझ से मह़ब्बत की और जिस ने इन से बुग़्ज़ रखा, उस ने मुझ से बुग़्ज़ रखा (مستدرک،کتاب معرفة الصحابة،رکوب الحسن و الحسین  ۔۔الخ،۴/۱۵۶،حدیث: ۴۸۳۰)

          ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ को मह़ब्बते रसूल का येह मेयार बारगाहे रिसालत से अ़त़ा हुवा था, आप رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ ने तमाम उ़म्र इसे अपनाए रखा । जब मरवान बिन ह़कम, ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ की बारगाह में ब वक़्ते वफ़ात ह़ाज़िर हुवा, तो केहने लगा : जब से आप की सोह़बत इख़्तियार की है, मैं ने आप की ज़ात में ह़ज़राते ह़सनैने करीमैन رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھُمَا की मह़ब्बत बहुत देखी है । येह सुन कर ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ बे क़रार हो कर उठ बैठे और इरशाद फ़रमाया : एक मरतबा हम नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के हमराह कहीं जाने के लिए निकले, अभी कुछ ही रास्ता तै़ किया था कि आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने ह़सनैने करीमैन رَضِیَ اللّٰہُ  عَنْھُمَا के रोने की आवाज़ सुनी, वोह दोनों उस वक़्त अपनी वालिदा के पास थे, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم जल्दी जल्दी चलते हुवे उन के पास तशरीफ़ ले गए । मैं ने आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم को सय्यिदा फ़ात़िमतुज़्ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا से येह फ़रमाते सुना : मेरे बेटों को क्या हुवा ? अ़र्ज़ की : प्यास (यानी प्यास की वज्ह से दोनों रो रहे हैं) । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم पानी लेने के लिए मश्कीज़े की त़रफ़ बढ़े मगर उस में पानी मौजूद न था क्यूंकि उन दिनों पानी की इतनी सख़्त क़िल्लत थी कि लोग पानी की तलाश में रहा करते थे । नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने लोगों को पुकार कर फ़रमाया : क्या तुम में से किसी के पास पानी है ? हर एक ने कजावों (सुवारियों के बैठने के लिए ऊंट की कमर पर बनाई गई निशस्तों) से लटके हुवे मश्कीज़ों में पानी देखा मगर उन्हें एक क़त़रा तक न मिला ।  आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने ख़ातूने जन्नत, सय्यिदा फ़ात़िमतुज़्ज़हरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا से फ़रमाया : एक बच्चा मुझे दो । ख़ातूने जन्नत, सय्यिदा फ़ात़िमा ने एक बच्चे को पर्दे के नीचे से दे दिया । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने उन्हें ले कर अपने सीने से लगाया मगर वोह सख़्त प्यास की वज्ह से मुसल्सल रो रहे थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने उन के मुंह में अपनी ज़बान मुबारक डाली, तो वोह उसे चूसने लगे, ह़त्ता कि सैराब हो गए । (ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ फ़रमाते हैं कि) मैं ने दोबारा उन के रोने की आवाज़ न सुनी जबकि दूसरे (शहज़ादे) उसी त़रह़ मुसल्सल रो रहे थे । आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : दूसरे को भी मुझे दो । ख़ातूने जन्नत, सय्यिदा फ़ात़िमा ने दूसरे को भी ह़ुज़ूर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के ह़वाले कर दिया, ह़ुज़ूर नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने उन के साथ भी वोही मुआ़मला फ़रमाया (यानी उन