Book Name:Yazeediyon Ka Bura Kirdar
उस के पास इस से छुटकारे की कोई राह नहीं, तो उस ने कहा : मुझे शराब का ग्लास पिला दे । औ़रत ने शराब का एक जाम पिलाया, तो उस ने मज़ीद मांगा, पस वोह इसी त़रह़ शराब पीता रहा, यहां तक कि उस औ़रत के साथ मुंह भी काला किया और लड़के को भी क़त्ल कर दिया, लिहाज़ा तुम शराब से बचते रहो । अल्लाह की क़सम ! ईमान और शराब नोशी दोनों किसी शख़्स के सीने में कभी जम्अ़ नहीं हो सकते, हां ! अ़न क़रीब एक, दूसरे को बाहर निकाल देगा । (ابن حبان، کتاب الاشربۃ، ذکر ما یجب علی المرء۔۔۔الخ، ۷/۳۶۷، حدیث:۵۳۲۴)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
यज़ीद की दूसरी बुराई "गाने बाजे"
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबाओ अहले बैत ! यज़ीद पलीद में एक बुराई येह भी थी कि वोह गाने बाजे सुनने का आ़दी था जबकि गाने बाजे सुनना नाजाइज़, सख़्त ह़राम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है । अह़ादीसे मुबारका में इस बुरे फे़ल की मुमानअ़त वारिद हुई है । आइए ! इस बारे में 3 रिवायात सुनते हैं :
1. जो गाना सुनता है, क़ियामत के दिन अल्लाह पाक उस के कानों में पिघला हुवा सीसा उन्डेलेगा । (کنزُ العُمّال، کتاب اللھو۔۔الخ، قسم الاقوال، جزء: ۱۵، ۸/۹۶، حدیث:۴۰۶۶۲)
2. गाने बाजे से अपने आप को बचाओ क्यूंकि येह शहवत को उभारते और ग़ैरत को बरबाद करते हैं और येह शराब के क़ाइम मक़ाम हैं, इस में नशे की सी तासीर है । (تفسیردرمنثور، پ ۲۱، لقمان، تحت الآیۃ ۶، ۶/۵۰۶، شعب الْایمان، باب فی حفظ اللسان، ۴/۲۸۰، حدیث:۵۱۰۸)
3. गाना और लह्व दिल में इस त़रह़ निफ़ाक़ उगाते हैं, जिस त़रह़ पानी सब्ज़ा उगाता है । क़सम है उस ज़ाते मुक़द्दस की जिस के क़ब्ज़ए क़ुदरत में मेरी जान है ! बेशक क़ुरआन और ज़िक्रुल्लाह ज़रूर दिल में इस त़रह़ ईमान उगाते हैं, जिस त़रह़ पानी सब्ज़ घास उगाता है । (مسند الفردوس ،۲/۱۰۱،حدیث:۴۲۰۴)
अल्लाह पाक हमें गाने बाजे की नुह़ूसत से बचने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए और हर वक़्त नात व तिलावत, सुन्नतों भरे बयानात, मदनी मुज़ाकरे और मदनी चेनल के ईमान अफ़रोज़ सिलसिले देखने की सआ़दत नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबाओ अहले बैत ! यज़ीद पलीद की ख़ुराफ़ात में से एक बुराई येह भी थी कि उस ने सूद जैसे घिनौने गुनाह को आ़म किया, ह़ालांकि सूद क़त़ई़ ह़राम और जहन्नम में ले जाने वाला काम है, इस के ह़राम होने का इन्कार करने वाला काफ़िर और जो ह़राम समझ कर इस