Book Name:Yazeediyon Ka Bura Kirdar
ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबाओ अहले बैत ! इस्लाम में जो अहमिय्यत नमाज़ को ह़ासिल है, वोह किसी और इ़बादत को ह़ासिल नहीं । नमाज़ अरकाने इस्लाम में से एक अहम तरीन रुक्न है, नमाज़ एक बहुत ही अ़ज़ीम इ़बादत है, नमाज़ जन्नत में ले जाने वाला अ़मल है, नमाज़ नूर है, ख़ुशूअ़ व ख़ुज़ूअ़ के साथ दो रक्अ़तें अदा करने वाले के लिए जन्नत वाजिब हो जाती है । (مسلم ،کتاب الطہارۃ، باب الذکر المستحب عقب الوضوء، ص۱۱۸، حدیث: ۲۳۴۴) दो रक्अ़त नमाज़ दुन्या व माफ़ीहा (यानी दुन्या और जो कुछ इस में है इस सब) से बेहतर है, नमाज़ अल्लाह पाक के नज़दीक पसन्दीदा तरीन अ़मल है, नमाज़ में हर सजदे के इ़वज़ एक नेकी लिखी जाती, एक गुनाह मिटाया जाता और एक दरजा बुलन्द किया जाता है, नमाज़ी बरोज़े क़ियामत सलामती के साथ जन्नत में दाख़िल किया जाएगा, नमाज़ से गुनाह झड़ते हैं, एक नमाज़ पिछली नमाज़ के दौरान होने वाले गुनाहों को धो डालती है, नमाज़ी ख़ैर में रात गुज़ारता है, नमाज़ बुराइयों को मिटा देती है । अल्लाह पाक हमें भी रोज़ाना पांचों नमाज़ें पाबन्दी के साथ अदा करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए और नफ़्ल नमाज़ों की सआ़दत भी नसीब फ़रमाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم
दावते इस्लामी के तह़्त दुन्या भर में होने वाले सैंक्ड़ों हफ़्तावार इजतिमाआ़त में हर हफ़्ते हज़ारों आ़शिक़ाने रसूल जम्अ़ हो कर इ़ल्मे दीन ह़ासिल करते हैं, सुन्नतें व आदाब सीखते हैं, मुसलमानों के क़ुर्ब की बरकतें ह़ासिल करते हैं, अल्लाह पाक के घर में रात एतिकाफ़ कर के सवाब का ख़ज़ान लूटते हैं, कई एक नेक आमाल पर अ़मल की सआ़दत पाते हैं, इजतिमाअ़ के इख़्तिताम पर मदनी क़ाफ़िलों के मुसाफ़िर बनते हैं । इन हफ़्तावार इजतिमाआ़त के लिए एक शोबा बनाम "हफ़्तावार इजतिमाअ़" क़ाइम है, जिस के कामों में शुरकाए इजतिमाअ़ की तादाद बढ़ाना, हफ़्तावार इजतिमाअ़ के निज़ाम को शरई़ और तन्ज़ीमी उसूलों के मुत़ाबिक़ चलाना है, क़ारी व नात ख़्वां और मुबल्लिग़ का पेशगी शिडयूल बनाना, तिलावत व नात और बयान की पर्चियां बना कर मुतअ़ल्लिक़ा ज़िम्मेदार को कम अज़ कम 7 दिन पेहले बताना, इजतिमाअ़ गाह बिल ख़ुसूस दाख़िली दरवाज़ों पर ह़िफ़ाज़त के पेशे नज़र ह़िफ़ाज़ती इन्तिज़ामात मुकम्मल करवाना, स्पीकर, लाइट्स, जनरेटर और यू.पी.एस (UPS) का मुनासिब इन्तिज़ाम करना, वुज़ूख़ाना व इस्तिन्जा ख़ानों पर पानी वग़ैरा का इन्तिज़ाम करना, इजतिमाअ़ गाह और मस्जिद की सफ़ाई का ख़याल रखना, दरियां व चटाइयां बिछाना और इजतिमाअ़ के इख़्तिताम पर उठाना, दौराने इजतिमाअ़ अत़राफ़ में घूमने वाले इस्लामी भाइयों को ख़ैर ख़्वाहों के ज़रीए़ नर्मी व शफ़्क़त से इजतिमाअ़ में शिर्कत करवाना, ज़रूरत के मुत़ाबिक़ मुनासिब मक़ामात पर पानी की सबील लगाना, मक्तबतुल मदीना के बस्ते पर कुतुबो रसाइल की फ़राहमी और प्राईवेट बस्तों पर ग़ैर तन्ज़ीमी लिट्रेचर वग़ैरा का जाइज़ा लेना, इजतिमाअ़ में आने वाले इस्लामी भाइयों की गाड़ियों के लिए पार्किंग का मुनासिब इन्तिज़ाम