Yazeediyon Ka Bura Kirdar

Book Name:Yazeediyon Ka Bura Kirdar

बीमारी में मुब्तला हो, वोह फ़ासिक़ और उस की गवाही ना मक़्बूल है । बद क़िस्मती से येह बुराई भी हमारे मुआ़शरे में बड़ी तेज़ी से फैलती जा रही है ।

          ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबाओ अहले बैत ! एक बात याद रखें कि दवाई खाई जाती है तब ही बीमारी से शिफ़ा मिलती है जबकि हम चाहते हैं कि दवा भी न खाएं और मरज़ से शिफ़ा भी मिल जाए । माना कि मुआ़शी ख़ुशह़ाली के लिए पूरे मुआ़शरे को सूद और दीगर बुराइयों से पाक करने की ज़रूरत है मगर याद रखें ! मुआ़शरा फ़र्द से बनता है, जब तक हम अपनी इस्लाह़ की कोशिश नहीं करेंगे, सारे मुआ़शरे की इस्लाह़ कैसे होगी ? आइए ! अब सूद की मज़म्मत पर चन्द रिवायात सुनते हैं । चुनान्चे,

1.   इरशाद फ़रमाया : सूद (का गुनाह) सत्तर ह़िस्सा है, उन में सब से कम दरजा येह है कि कोई शख़्स अपनी मां से ज़िना करे । (ابن ماجۃ ،ابواب التجارات ، باب التغلیظ فی الربا ،۳/۷۲،حدیث: ۲۲۷۴)

2.   इरशाद फ़रमाया : (ज़ाहिरी त़ौर पर) सूद अगर्चे ज़ियादा ही हो, आख़िरे कार उस का अन्जाम कमी पर होता है । (مسند امام احمد ، مسند عبداللہ بن مسعود ، ۲/۱۰۹، حدیث: ۴۰۲۶)

3.   इरशाद फ़रमाया : क़ियामत के दिन सूद ख़ोर को इस ह़ाल में उठाया जाएगा कि वोह दीवाना व मख़्बूत़ुल ह़वास (घबराया हुवा) होगा । (معجم  کبیر، ۱۸/۶۰، حدیث:۱۱۰)

4.   इरशाद फ़रमाया : जिस क़ौम में सूद फैलता है, उस क़ौम में पागलपन फैलता है । (کتاب الکبائر للذھبی، الکبیرۃ الثانیۃ عشرۃ، ص ۷۰)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

यज़ीद की चौथी बुराई "नमाज़ न पढ़ना"

          ऐ आ़शिक़ाने सह़ाबाओ अहले बैत ! यज़ीद पलीद जिन बुराइयों में मुब्तला था, उन में से एक येह भी थी कि वोह या तो सिरे से नमाज़ ही नहीं पढ़ता था और अगर पढ़ता भी था, तो क़ज़ा कर के पढ़ता था, ह़ालांकि नमाज़ क़ज़ा कर के पढ़ना भी गुनाह है और न पढ़ना तो इस से भी बड़ा गुनाह है । फ़ी ज़माना येह गुनाह भी बिल्कुल आ़म है, अव्वल तो हमारी अक्सरिय्यत नमाज़ों की अदाएगी से ग़ाफ़िल और ह़ुक़ूक़ुल्लाह पामाल करने की त़रफ़ माइल नज़र आती है और जो थोडे़ बहुत लोग पढ़ते भी हैं, उन में से शायद एक बड़ी तादाद को नमाज़ दुरुस्त पढ़ना नहीं आती होगी, ह़ालांकि नमाज़ इन्तिहाई अहमिय्यत की ह़ामिल है, जिस का अन्दाज़ा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि रोज़े क़ियामत ह़ुक़ूक़ुल्लाह में सब से पेहले इसी के मुतअ़ल्लिक़ सुवाल किया जाएगा ।

          ह़दीसे पाक में है : "اَوَّلُ مَایُحَاسَبُ بِہِ الْعَبْدُ یَوْمَ الْقِیَامَۃِ صَلَا تُہ कल क़ियामत के दिन बन्दे से सब से पेहले उस की नमाज़ के बारे में सुवाल होगा ।" इस ह़दीसे पाक के तह़्त ह़ज़रते अ़ल्लामा अ़ब्दुर्रऊफ़ मुनावी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं कि बेशक नमाज़, ईमान की अ़लामत और अस्ले इ़बादत है । (التیسیرشرح جامع الصغیر،۱/۳۹۱)