Hajj Kay Fazail or Is Kay Ahkamaat

Book Name:Hajj Kay Fazail or Is Kay Ahkamaat

ह़ज के फ़ज़ाइल

          اَلْحَمْدُلِلّٰہ हर साल लाखों मुसलमान इस फ़रीज़े की अदाएगी के लिए एक जैसा लिबास पेहन कर सरज़मीने ह़रम पर इकठ्ठे होते हैं, येह लम्ह़ा ह़ाज़ियों के लिए किसी नेमते उ़ज़्मा से कम नहीं होता क्यूंकि रब्बे करीम इन ख़ुश नसीबों पर ख़ुसूसी करम नवाज़ियां फ़रमाता और इन को ह़ज के बदले ऐसे अ़ज़ीमुश्शान इनआ़मात से नवाज़ता है जिन के मुतअ़ल्लिक़ सुन कर मुसलमानों के दिलों में भी इन मुक़द्दस मक़ामात की ज़ियारत का ज़ौक़ो शौक़ मज़ीद मचलने लगता है । आइए ! ह़ज के फ़ज़ाइल और ह़ाजियों को मिलने वाले इन्आ़माते इलाही के मुतअ़ल्लिक़ 4 फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم सुनते हैं । चुनान्चे,

1.   इरशाद फ़रमाया : ह़ाजी अपने घरवालों में से 400 (मुसलमानों) की शफ़ाअ़त करेगा और गुनाहों से ऐसा निकल जाएगा जैसे उस दिन कि मां के पेट से पैदा हुवा । (کنز العمال، حرف الحاء،کتاب الحج والعمرۃ،الفصل الاول فی فضائل الحج، الجزء: ۵، ۳/۷، حدیث: ۱۱۸۳۷)

2.   इरशाद फ़रमाया : ह़ज किया करो ! क्यूंकि ह़ज गुनाहों को इस त़रह़ धो देता है जैसे पानी मैल को धो देता है ।(معجم اوسط ، من   اسمہ القاسم، ۳ / ۴۱۶،حدیث:۴۹۹۷)

3.   इरशाद फ़रमाया : जब तुम किसी ह़ाजी से मुलाक़ात करो, तो उस से सलाम व मुसाफ़ह़ा करो और उस से कहो कि वोह अपने घर में दाख़िल होने से पेहले तुम्हारे लिए मग़फ़िरत की दुआ़ करे क्यूंकि उस की मग़फ़िरत हो चुकी है। (مشکاۃ المصابیح ، کتاب المناسک،الفصل الثالث،۱/۴۷۲،حدیث:۲۵۳۸)

4.   इरशाद फ़रमाया : जो ह़ज के इरादे से निकला फिर मर गया, तो अल्लाह पाक उस के लिए क़ियामत तक ह़ज करने वाले का सवाब लिख देगा और जो उ़मरे के इरादे से निकला फिर मर गया, तो अल्लाह पाक उस के लिए क़ियामत तक उ़मरह करने वाले का सवाब लिख देगा ।(مسند ابی یعلیٰ ، مسند ابی ھریرۃ ، ۵/ ۴۴۱، حدیث: ۶۳۲۷)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि रब्बे करीम ह़ाजियों पर कैसी कैसी करम नवाज़ियां फ़रमाता है कि उन के तमाम गुनाहों को मुआ़फ़ फ़रमाता है, उन को मग़फ़िरत का परवाना अ़त़ा फ़रमाता है और ह़ाजी की दुआ़ की बरकत से लोगों की बख़्शिश व मग़फ़िरत की क़वी उम्मीद होती है और जो ह़ज के इरादे से निकला और रास्ते में मर जाए, तो उस के लिए क़ियामत तक ह़ज का सवाब भी लिखा जाता है ।

        याद रखिए ! मक्कए मुकर्रमा व मदीनए मुनव्वरा की ह़ाज़िरी ऐसा अनमोल मौक़अ़ है कि येह नसीब वालों को ही मिलता है । कितने ही मालदार लोग दिन रात लन्दनो पेरिस के सुहाने सपने देखते हैं और बाज़ तो इन मुमालिक की सैरो सियाह़त से लुत़्फ़ अन्दोज़ भी हो जाते हैं मगर इस्तित़ाअ़त (Ability) के बा वुजूद ह़ज जैसे अहम फ़रीज़े और रौज़ए रसूल की ह़ाज़िरी की सआ़दत से मह़रूम रेहते हैं मगर कई आ़शिक़ाने मक्का व मदीना इन्तिहाई ग़रीब होने के बा वुजूद सच्ची तड़प