Book Name:Hajj Kay Fazail or Is Kay Ahkamaat
क्या केहने और अगर वापस आना पड़ जाए, तो दोबारा जाने की तमन्ना दिल में होना भी एक ख़ुश गवार कैफ़िय्यत है, अल ग़रज़ ! वहां रेह कर मरना नसीब हो जाए या कहीं रास्ते में मौत आ जाए या वापस आना मुक़द्दर बन जाए, बहर सूरत फ़ाएदा ही फ़ाएदा है । चुनान्चे,
1. ह़ज़रते जाबिर बिन अ़ब्दुल्लाह رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से मरवी है कि नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का फ़रमाने आ़लीशान है : येह घर इस्लाम का सुतून है । जो ह़ज या उ़मरह करने वाला अपने घर से बैतुल्लाह शरीफ़ के इरादे से निकले, अगर उस की रूह़ क़ब्ज़ हो जाए, तो अल्लाह पाक के ज़िम्मए करम पर है कि उसे जन्नत में दाख़िल फ़रमा दे और अगर वोह (ह़ज कर के) पल्टा, तो अज्रो ग़नीमत के साथ लौटेगा । (معجم اوسط، الحدیث۹۰۳۳، ج۶، ص۳۵۲۔ فردوس الاخبار للدیلمی، باب الھاء ،الحدیث۷۲۰۸، ج۲،ص۳۸۲)
2. ह़ज़रते अनस رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है कि ख़ातिमुल मुर्सलीन, रह़मतुल्लिल आ़लमीन صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : जो शख़्स दो ह़रमों (यानी मदीनए मुनव्वरा और मक्कए मुअ़ज़्ज़मा) में से किसी एक में मरेगा, क़ियामत के दिन अम्न वालों में उठाया जाएगा और जो सवाब की निय्यत से मदीने में मेरी ज़ियारत करने आएगा, वोह क़ियामत के दिन मेरे पड़ोस में होगा । (شعب الایمان ،باب فی مناسک فضل الحج والعمرۃ ،رقم ۴۱۵۸ ، ج۳،ص ۴۹۰)
3. ह़ज़रते अ़ब्दुल्लाह बिन उ़मर رَضِیَ اللہُ عَنْہُمَا से मरवी है कि नूर के पैकर, तमाम नबियों के सरवर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने फ़रमाया : जो मदीने में मरने की इस्तित़ाअ़त रखता हो, वोह मदीने में ही मरे क्यूंकि जो मदीने में मरेगा, मैं उस की शफ़ाअ़त करूंगा । (ترمذی ،کتاب المناقب ،باب فی فضل المدینۃ ،رقم ۳۹۴۳، ج۵ ،ص ۴۸۳)
سُبْحٰنَ اللہ ! ह़रमैने त़य्यिबैन में मरने वाले किस क़दर ख़ुश नसीब हैं कि अल्लाह पाक ऐसे लोगों को जन्नत में दाख़िल फ़रमाता है और रोज़े क़ियामत सरकार صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की शफ़ाअ़त के साथ साथ आप का पड़ोस भी अ़त़ा फ़रमाएगा । याद रखिए ! ह़ाज़िरिए मक्का व मदीना के लिए सफ़र पर जाना बहुत बड़ी सआ़दत की बात है, जिसे येह सफ़रे मुबारक मुयस्सर आ जाए, तो उसे इस की ह़द दरजा ताज़ीम करनी चाहिए, दुन्या के दीगर सफ़रों की त़रह़ इस सफ़र को भी मह़्ज़ सैरो तफ़रीह़ समझ कर इस के मुबारक लम्ह़ात को फ़ुज़ूलिय्यात में बरबाद नहीं करना चाहिए बल्कि इस की अ़ज़मतो अहमिय्यत को समझना चाहिए ।
हमें चाहिए कि जब इस मुबारक सफ़र पे जाने की सआ़दत नसीब हो, तो इस की ताज़ीम बजा लाते हुवे इस बात का ख़ास ख़याल रखा जाए कि कोई ऐसी बात न सरज़द हो जाए कि जिस के सबब सारा सफ़र ही बेकार हो जाए । बाज़ नादान लोग इन मुक़द्दस मक़ामात पर भी मज़ाक़ मस्ख़री से बाज़ नहीं आते और दुन्या जहान की बातों में मश्ग़ूल रेह कर इन का तक़द्दुस पामाल करते दिखाई देते हैं, न जाने ऐसे लोगों की इन ह़रकतों से कितनों के ह़ज व उ़मरह ख़राब होते होंगे और उन के ज़ौक़ो शौक़ में ख़लल पैदा होता होगा । इस सफ़र की अ़ज़मतो रिफ़्अ़त जानने के लिए औलिया व बुज़ुर्गाने दीन رَحْمَۃُ اللہِ عَلَیْہِم اَجْمَعِیْن का अ़मल मुलाह़ज़ा कीजिए कि इन की बरकतों से दीगर ज़ाइरीन भी फै़ज़याब होते थे और इन के सदके़ बाक़ी तमाम ह़ाजियों के ह़ज भी क़बूल हो जाते थे ।