Book Name:Hajj Kay Fazail or Is Kay Ahkamaat
ह़ज़रते इमाम क़स्त़लानी नक़्ल फ़रमाते हैं : जो कोई ह़ुज़ूरे अकरम, नूरे मुजस्सम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की क़ब्रे मुअ़ज़्ज़म के रूबरू खड़ा हो कर येह आयते शरीफ़ा पढ़े : اِنَّ اللّٰہَ وَمَلٰئِکَتَہٗ یُصَلُّوْنَ عَلَی النَّبِیِّ (پ ۲۲،الاحزاب :۵۶ । फिर सत्तर मरतबा : صَلَّی اللہُ عَلَیْکَ یَامُحَمَّد अ़र्ज़ करे । तो फ़िरिश्ता इस के जवाब में यूं केहता है : ऐ फ़ुलां ! तुझ पर अल्लाह पाक की रह़मत हो । और उस की कोई ह़ाजत बाक़ी नहीं रेहती । (المواہب اللدنیۃ،المقصد العاشر،الفصل الثانی فی زیارۃ قبرہ الشریف …الخ، ۳/۴۱۲)
जहां तक ज़बान साथ दे, दिलजम्ई़ के साथ मुख़्तलिफ़ अल्क़ाब के साथ सलाम अ़र्ज़ करते रहें, अगर अल्क़ाब याद न हों, तो اَلصَّلٰوۃُوَالسَّلَامُ عَلَیْکَ یَا رَسُوْلَ اللّٰہ की तकरार करते रहें, जिन जिन लोगों ने आप को सलाम के लिए कहा है, उन का भी सलाम अ़र्ज़ करें । यहां ख़ूब दुआ़एं मांगें और बार बार इस त़रह़ शफ़ाअ़त की भीक मांगें : اَسْئَلُکَ الشَّفَاعَۃَ یَارَسُوْلَ اللّٰہِ صَلَّی اللہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم यानी या रसूलल्लाह صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ! मैं आप की शफ़ाअ़त का त़लबगार हूं ।
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
اَلْحَمْدُلِلّٰہ हम बहुत ख़ुश नसीब हैं कि अल्लाह पाक ने हमें दावते इस्लामी का दीनी माह़ोल अ़त़ा फ़रमाया । अल्लाह के फ़ज़्लो करम से दावते इस्लामी तब्लीग़े दीन के 80 से ज़ाइद शोबाजात में नेकी की दावत की धूमें मचाने में मसरूफ़ है, इन्ही शोबाजात में से एक शोबा "ह़ज्जो उ़मरह" भी है, जो ह़ज व उ़मरह के लिए जाने वाले इस्लामी भाइयों और इस्लामी बहनों की बा क़ाइ़दा तरबियत करने, उन्हें बारगाहे ख़ुदावन्दी और बारगाहे मुस्त़फ़वी के आदाब और ज़रूरी मसाइल सिखाने के लिए क़ाइम किया गया है । इस शोबे में शामिल तरबियत याफ़्ता मुबल्लिग़ीन इस्लामी भाई हर साल ह़ज के मौसिमे बहार में ह़ाजी कैम्पों में जा कर ह़ाजियों की तरबियत करते हैं जबकि मुबल्लिग़ात इस्लामी बहनें ह़ज्जनों की तरबियत करती हैं । اَلْحَمْدُلِلّٰہ इस शोबे के तह़्त ह़ज व ज़ियारते मदीना के लिए मक्के मदीने जाने वालों को अमीरे अहले सुन्नत دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ की तह़रीर कर्दा किताबें "रफ़ीक़ुल ह़रमैन" और "रफ़ीक़ुल मोतमिरीन" भी तोह़फ़तन पेश की जाती हैं ताकि अल्लाह के घर के मेहमान और ह़बीबे ख़ुदा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के उ़श्शाक़ इस इ़बादत को अह़सन त़रीके़ से बजा लाने में काम्याब हो जाएं ।
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! मक्कए मुअ़ज़्ज़मा और मदीनए त़य्यिबा और दीगर मुक़द्दस मक़ामात पर ह़ाज़िरी की ख़्वाहिश दिल में बिठाने, इ़श्के़ रसूल और यादे मदीना में आंसू बहाने, रौज़ए अक़्दस के रूबरू सलातो सलाम के गजरे लुटाने, सुन्नतों पर अ़मल का जज़्बा पाने, नेकियां करने, गुनाहों से बचने और दूसरों को बचाने के लिए दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाइए, अपनी और सारी दुन्या के लोगों की इस्लाह़ की कोशिश के लिए ज़ैली ह़ल्के़ के 12 दीनी कामों में बढ़ चढ़ कर ह़िस्सा लीजिए ।