Mout Ki Yad Kay Fazail Shab e Qadr 1442

Book Name:Mout Ki Yad Kay Fazail Shab e Qadr 1442

अगर मौत को याद रखेंगे, तो اِنْ شَآءَ اللّٰہ हर त़रह़ की हलाकत के मक़ाम से छुटकारा मिलेगा, दीनो ईमान सलामत रहेंगे, इत्तिबाए़ सुन्नत की सआ़दत भी नसीब होगी और गुनाहों से तह़फ़्फ़ुज़ भी ह़ासिल होगा ।

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                               صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

बार बार गुनाहों से तौबा कीजिए !

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! ٭ इस से पेहले कि हम भी मौत के वक़्त की दर्दनाक कैफ़िय्यत में मुब्तला हो जाएं, रूह़ निकलने की तक्लीफ़ से हमारा जिस्म मफ़्लूज हो जाए और मौत के फ़िरिश्ते की आमद हो, अपने गुनाहों से तौबा कर लें । ٭ इस से पेहले कि मौत का वक़्त आन पहुंचे और तौबा का दरवाज़ा बन्द हो जाए और ह़सरत व शर्मिन्दगी हमें घेर ले, हमें अल्लाह पाक की बारगाह में सच्ची तौबा कर लेनी चाहिए । ٭ हमें मौत आने से पेहले पेहले अल्लाह पाक से अपने गुनाहों की मुआ़फ़ी मांग लेनी चाहिए । इन्सान से गुनाह हो जाते हैं लेकिन गुनाहों पर डटे रेहना और तौबा से मुंह मोड़ लेना बहुत बड़ी बे वुक़ूफ़ी है । बन्दए मोमिन की शान येह है कि अगर उस से कोई गुनाह हो जाए, तो वोह फ़ौरन तौबा करता है फिर गुनाह हो जाए, तो वोह फिर तौबा करता है फिर गुनाह हो जाए, तो वोह फिर तौबा करता है, अल ग़रज़ ! बार बार तौबा करना ईमान के तक़ाज़ों में से एक तक़ाज़ा है ।

          अल्लाह पाक ने क़ुरआने करीम में कई मक़ामात पर तौबा करने और अपने गुनाहों से मुआ़फ़ी मांगने का ह़ुक्म फ़रमाया है और जो लोग अल्लाह पाक की बारगाह में सच्ची तौबा कर लेते हैं, अल्लाह पाक उन से बहुत ख़ुश होता और उन पर अपना ख़ुसूसी फ़ज़्लो करम भी फ़रमाता है । चुनान्चे, पारह 6, सूरतुल माइदा की आयत नम्बर 39 में इरशाद होता है :

فَمَنْ تَابَ مِنْۢ بَعْدِ ظُلْمِهٖ وَ اَصْلَحَ فَاِنَّ اللّٰهَ یَتُوْبُ عَلَیْهِؕ-اِنَّ اللّٰهَ غَفُوْرٌ رَّحِیْمٌ(۳۹)    )پ۶،المائدہ:۳۹  (

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : तो जो अपने ज़ुल्म के बाद तौबा कर ले और अपनी इस्लाह़ कर ले, तो अल्लाह अपनी मेहरबानी से उस पर रुजूअ़ फ़रमाएगा, बेशक अल्लाह बख़्शने वाला, मेहरबान है ।

          तफ़्सीरे सिरात़ुल जिनान में इस आयते मुबारका के तह़्त लिखा है : तौबा निहायत नफ़ीस चीज़ है, कितना ही बड़ा गुनाह हो, अगर उस से तौबा कर ली जाए, तो अल्लाह पाक अपना ह़क़ मुआ़फ़ फ़रमा देता है और तौबा करने वाले को अ़ज़ाबे आख़िरत से नजात दे देता है । (सिरात़ुल जिनान, 2 / 430 (

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                               صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

बुज़ुर्गों के बताए हुवे अह़वाले मौत

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! हम मौत के बारे में सुन रहे थे । इस में शक नहीं कि मरते वक़्त मुर्दे को जो तक्लीफ़ होती है, उसे लफ़्ज़ों में बयान नहीं किया जा सकता लेकिन बाज़ बुज़ुर्गाने