Seerat e Bibi Khadija tul Kubra

Book Name:Seerat e Bibi Khadija tul Kubra

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की अज़्वाजे मुत़ह्हरात رَضِیَ اللّٰہُ  عَنْہُنَّ اَجْمَعِیْن, नबिय्ये करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के निकाह़ में आने के शरफ़ की वज्ह से "उम्महातुल मोमिनीन" के लक़ब से सरफ़राज़ हुईं । चुनान्चे, क़ुरआने पाक में इरशादे रब्बानी है :

وَ اَزْوَاجُهٗۤ اُمَّهٰتُهُمْؕ       )پ۲۱،الاحزاب:۶(

तर्जमए कन्ज़ुल इ़रफ़ान : और इन की बीवियां उन की माएं हैं ।

          ह़ज़रते इमाम इब्ने अबी ह़ातिम رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ ने ह़ज़रते क़तादा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से येह क़ौल नक़्ल किया है कि नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की अज़्वाजे मुत़ह्हरात رَضِیَ اللّٰہُ  عَنْہُنَّ ह़ुर्मत (यानी इ़ज़्ज़तो एह़तिराम) में मोमिनीन की माएं हैं और मोमिनों पर उसी त़रह़ ह़राम हैं जिस त़रह़ उन की माएं ह़राम हैं । (تفسیردرمنثور،پ۲۱، الاحزاب،تحت الآیۃ:۶،۶/ ۵۶۶)

          अ़ल्लामा ज़ुरक़ानी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की तमाम अज़्वाजे मुत़ह्हरात رَضِیَ اللّٰہُ  عَنْہُنَّ यानी जिन से ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने निकाह़ फ़रमाया है, चाहे रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के विसाले ज़ाहिरी से पेहले उन का इन्तिक़ाल हुवा हो या विसाले ज़ाहिरी के बाद उन्हों ने वफ़ात पाई हो, सब की सब उम्मत की माएं हैं और हर उम्मती के लिए उस की ह़क़ीक़ी मां से बढ़ कर ताज़ीम के लाइक़ हैं और उन का एह़तिराम ज़रूरी है । (شرح زرقانی،المقصد الثانی،الفصل الثالث فی ذکر ازواجہ الطاہرات… الخ،۴/۳۵۶) अल्लाह पाक हमें उन का अदबो एह़तिराम करने की तौफ़ीक़ अ़त़ा फ़रमाए ।

اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم

ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْھَا का तज़किरा

          सब से पेहले रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا से निकाह़ फ़रमाया और जब तक वोह ज़िन्दा रहीं, आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने किसी दूसरी औ़रत से निकाह़ नहीं फ़रमाया । (شرح زرقانی،المقصد الثانی،الفصل الثالث فی ذکر ازواجہ الطاہرات… الخ،۴/۳۶۲) आज के बयान में हम अज़्वाजे मुत़ह्हरात में से ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا का तआ़रुफ़, बुलन्दिए इस्लाम के लिए आप की ख़िदमात, रसूले ख़ुदा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से आप की मह़ब्बत व वफ़ादारी की झल्कियां, रसूले पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की इन से मह़ब्बत का ज़िक्र, आप के मुबारक औसाफ़, दीगर निकात वग़ैरा से मुतअ़ल्लिक़ सुनेंगे । ऐ काश ! हमें सारा बयान अच्छी अच्छी निय्यतों के साथ सुनना नसीब हो जाए । اٰمِیْن بِجَاہِ النَّبِیِّ الْاَمِیْن صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

ग़म गुसार बीवी

          उम्मुल मोमिनीन, ह़ज़रते आ़इशा सिद्दीक़ा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا फ़रमाती हैं : नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم पर वह़ी का आग़ाज़ अच्छे ख़्वाबों से हुवा, आप जो ख़्वाब देखते, वोह सुब्ह़ की रौशनी