Seerat e Bibi Khadija tul Kubra

Book Name:Seerat e Bibi Khadija tul Kubra

कहा : येह वोही फ़िरिश्ता है जिसे अल्लाह करीम ने ह़ज़रते मूसा عَلَیْہِ السَّلَام पर उतारा था, ऐ काश ! इन दिनों मैं जवान होता, ऐ काश ! उस वक़्त में ज़िन्दा रेहता जबकि आप की क़ौम आप को निकालेगी । रसूले अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने पूछा : क्या मेरी क़ौम मुझे निकालेगी ? कहा : हां ! जब भी कोई शख़्स येह चीज़ ले कर आया जैसी आप लाए हैं, तो उस से दुश्मनी की गई । अगर मुझे आप का वोह ज़माना नसीब हुवा, तो आप की भरपूर मदद करूंगा । ( بخاری،كتاب بدء الوحی،باب كيف بدء الوحى…الخ، ۱/۸،حديث:۳)

          ह़कीमुल उम्मत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी      رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ फ़रमाते हैं : मक़्सद येह है कि आप इन अ़लामतों की वज्ह से  ब ह़ुक्मे तौरेत आख़िरी नबी हैं, आप का सूरज बुलन्द होगा (और) आप का दीन ग़ालिब होगा । (वाज़ेह़ रहे !) ह़ज़रते ख़दीजा (رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا) तौरेत की आ़लिमा थीं और उ़लमाए (बनी) इसराईल से भी आप ने ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم) की येह अ़लामात सुनी थीं, इस वज्ह से तो ह़ुज़ूर (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم) से निकाह़ किया । (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 97)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा वाक़िए़ से मालूम हुवा ! ٭ नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم शादी के बाद भी रब्बे करीम की कसरत से इ़बादात किया करते थे ٭ ग़ारे ह़िरा को कई मरतबा मह़बूबे करीम  صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की इ़बादत गाह बनने का शरफ़ नसीब हुवा ।٭ ह़ज़रते ख़दीजा ऐसी ज़ौजा थीं जो अपने शौहर यानी प्यारे आक़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की इ़बादात के रास्ते में रुकावट नहीं बनती थीं । ٭ ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के हर दुख सुख में हमेशा शरीक रहीं ।  ٭ ह़ज़रते ख़दीजा, ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم से और ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم, ह़ज़रते ख़दीजा से बड़ी मह़ब्बत फ़रमाते थे । ٭ आप, ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के मुबारक औसाफ़ को बड़े ही शानदार अन्दाज़ में बयान फ़रमाती थीं । ٭ ह़ुज़ूरे पाक صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का ह़ौसला बढ़ातीं और तसल्ली दिया करती थीं । ٭ तौरेत की बहुत बड़ी आ़लिमा थीं । ٭ ह़ुज़ूरे अन्वर صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के एलाने नुबुव्वत फ़रमाने से पेहले ही अपनी कमाले फ़िरासत से आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का नबी होना जान लिया था । ٭ सरकारे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के नबी होने की सब से पेहली ख़बर आप को ही पहुंची थी । अल ग़रज़ ! कई ख़ूबियां आप का मुक़द्दर बनी हैं ।

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! बयान कर्दा वाक़िए़ में नबिय्ये अकरम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم पर पेहली वह़ी उतरने के मौक़अ़ पर आप صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के मुबारक दिल के कांपने का ज़िक्र गुज़रा, ऐसा क्यूं हुवा ? और इस में क्या ह़िक्मत थी ? इस की वज़ाह़त करते हुवे ह़ज़रते मुफ़्ती अह़मद यार ख़ान नई़मी رَحْمَۃُ اللّٰہ ِ عَلَیْہ तह़रीर फ़रमाते हैं : येह दिल का कांपना उस फै़ज़े रब्बानी का असर था जो आप (यानी पेहली वह़ी उतरने के रोज़) अ़त़ा हुवा था । येह तवज्जोह अगर पहाड़ों पर डाली जाती,