Book Name:Seerat e Bibi Khadija tul Kubra
प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! माहे रमज़ान अपनी रह़मतें बरकतें लुटा रहा है, इस का फै़ज़ान जारी व सारी है । आइए ! रोज़ा रखने और तरावीह़ पढ़ने के चन्द फ़ज़ाइल सुनने की सआ़दत ह़ासिल करते हैं । पेहले माहे रमज़ान के रोज़ों के फ़ज़ाइल पर मुश्तमिल चार फ़रामीने मुस्त़फ़ा صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم सुनते हैं :
1. इरशाद फ़रमाया : बेशक जन्नत में एक दरवाज़ा है जिस को "रय्यान" कहा जाता है, उस से क़ियामत के दिन रोज़ादार दाख़िल होंगे, इन के इ़लावा कोई और दाख़िल न होगा । कहा जाएगा : रोज़ेदार कहां हैं ? तो येह लोग खड़े होंगे, इन के इ़लावा कोई और उस दरवाज़े से दाख़िल न होगा । जब येह दाख़िल हो जाएंगे, तो दरवाज़ा बन्द कर दिया जाएगा फिर कोई उस दरवाज़े से दाख़िल न होगा । (بخاری،کتاب الصوم، باب الریان للصائمین،۱/۶۲۵،حدیث: ۱۸۹۶)
2. इरशाद फ़रमाया : जिस ने माहे रमज़ान का एक रोज़ा भी ख़ामोशी और सुकून से रखा, उस के लिए जन्नत में एक घर लाल याक़ूत या हरे ज़बरजद का बनाया जाएगा । (بخاری،کتاب الصوم، باب الریان للصائمین،۱/۶۲۵،حدیث: ۱۸۹۶)
3. इरशाद फ़रमाया : जिस को रोज़े ने खाने या पीने से रोक दिया कि जिस की उसे ख़्वाहिश थी, तो अल्लाह करीम उसे जन्नती फलों में से खिलाएगा और जन्नती शराब से सैराब करेगा । (بخاری،کتاب الصوم، باب الریان للصائمین،۱/۶۲۵،حدیث: ۱۸۹۶)
4. इरशाद फ़रमाया : क़ियामत वाले दिन रोज़ादारों के लिए सोने का एक दस्तरख़ान रखा जाएगा, ह़ालांकि लोग (ह़िसाब किताब के) इन्तिज़ार में होंगे । (بخاری،کتاب الصوم، باب الریان للصائمین،۱/۶۲۵،حدیث: ۱۸۹۶)
तरावीह़ पिछले गुनाहों की मुआ़फ़ी का सबब
तरावीह़ की पाबन्दी की बरकत से सारे सग़ीरा गुनाह मुआ़फ़ हो जाते हैं । चुनान्चे, ह़ज़रते अबू हुरैरा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہ से रिवायत है, रसूले करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم ने इरशाद फ़रमाया : مَنْ قَامَ رَمَضَانَ اِيْمَانًا وَّ احْتِسَابًا غُفِرَ لَہٗ مَا تَقَدَّمَ مِنْ ذَنْبِهٖ जो रमज़ान में क़ियाम करे ईमान की वज्ह से और सवाब त़लब करने के लिए, तो उस के पिछले सब गुनाह बख़्श दिए जाएंगे । (مسلم، کتاب صلاۃ المسافرین، باب الترغيب في قیام رمضان…الخ ،ص۲۹۸، حدیث: ۱۷۷۹)
صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب! صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد
हाथ मिलाने की सुन्नतें और आदाब
ऐ आ़शिक़ाने रसूल ! आइए ! अमीरे अहले सुन्नत, ह़ज़रते अ़ल्लामा मौलाना मुह़म्मद इल्यास अ़त़्त़ार क़ादिरी دَامَتْ بَرَکَاتُھُمُ الْعَالِیَہ के रिसाले "101 मदनी फूल" से हाथ मिलाने की सुन्नतें और आदाब सुनते हैं । चुनान्चे, ٭ दो मुसलमानों का मुलाक़ात के वक़्त सलाम कर के दोनों हाथ मिलाना