Seerat e Bibi Khadija tul Kubra

Book Name:Seerat e Bibi Khadija tul Kubra

में अ़र्ज़ करती :  या रसूलल्लाह (صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم) ! ह़ुज़ूर तो उन की ऐसी तारीफें करते हैं कि गोया उन के सिवा कोई बीवी आप को मिली ही नहीं या उन के सिवा दुन्या में कोई बीबी है ही नहीं । (और ह़ुज़ूरे अक़्दस صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم के फ़रमान "वोह ऐसी थीं, वोह ऐसी थीं" की वज़ाह़त करते हुवे फ़रमाते हैं : इस से) जनाबे ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا की बहुत सी सिफ़ात (ख़ूबियों) की त़रफ़ इशारा है, यानी वोह बहुत रोज़ादार, तहज्जुद गुज़ार, मेरी बड़ी ख़िदमत गुज़ार, मेरी तन्हाई (अकेलेपन) की मूनिस (साथी), मेरी ग़म गुसार (हमदर्दी करने वाली), ग़ारे ह़िरा के चिल्ले (यानी तन्हाई में चालीस, चालीस दिन इ़बादात बजा लाने) में मेरी मददगार थीं और मेरी सारी औलाद उन्ही से है । (मिरआतुल मनाजीह़, 8 / 497, मुलख़्ख़सन)

आक़ा करीम صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم का ह़ज़रते ख़दीजा को याद करना

          एक बार ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا की बहन, ह़ज़रते हाला बिन्ते ख़ुवैलद رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا ने सरकारे मदीना صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم की बारगाह में ह़ाज़िर होने की इजाज़त त़लब की, उन की आवाज़ ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا से बहुत मिलती थी । चुनान्चे, इस से आप को ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا का इजाज़त त़लब करना याद आ गया और आप ने झुरझुरी ली । (بخاری، کتاب مناقب الانصار، باب تزویج النبی   الخ، ص۹۶۲،حديث۳۸۲۱)

صَلُّوْا عَلَی الْحَبِیْب!                                      صَلَّی اللّٰہُ عَلٰی مُحَمَّد

शोबा कफ़न दफ़्न 

          प्यारे प्यारे इस्लामी भाइयो ! आप ने सुना कि ह़ुज़ूरे पाक   صَلَّی اللّٰہُ عَلَیْہِ وَاٰلِہٖ وَسَلَّم, ह़ज़रते ख़दीजा رَضِیَ اللّٰہُ عَنْہَا से किस क़दर मह़ब्बत फ़रमाते थे, लिहाज़ा हमें भी उन से मह़ब्बत रखनी चाहिए और उन के नक़्शे क़दम पर चलते हुवे मह़ब्बते रसूल को अपने सीने में बसाना चाहिए और येह गुर पाने के लिए दावते इस्लामी के दीनी माह़ोल से वाबस्ता हो जाना चाहिए । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ आ़शिक़ाने रसूल की दीनी तह़रीक दावते इस्लामी इस वक़्त 80 शोबों के ज़रीए़ दुन्या भर में दीन का पैग़ाम आ़म कर रही है, इन्ही में से एक शोबा "कफ़न दफ़्न" भी है । इस शोबे के कामों में शरीअ़त और मदनी मर्कज़ के दिए गए त़रीके़ कार के मुत़ाबिक़ मुसलमान मय्यितों के ग़ुस्ल व कफ़न और लवाह़िक़ीन की ग़म गुसारी के तमाम मुआ़मलात सर अन्जाम दे कर सवाब कमाना है । اَلْحَمْدُ لِلّٰہ शोबा कफ़न दफ़्न के तह़्त वक़्तन फ़ वक़्तन मुल्क व बैरूने मुल्क ज़िम्मेदारान व आ़शिक़ाने रसूल के सुन्नतों भरे इजतिमाआ़त का भी इन्ए़क़ाद किया जाता है । शोबे के तह़्त तीजे, चेहलुम और बरसी के मौक़अ़ पर ईसाले सवाब के इजतिमाअ़ भी किए जाते हैं और इन में रसाइल भी तक़्सीम किए जाते हैं ।

          اَلْحَمْدُ لِلّٰہ शोबा कफ़न दफ़्न और आई-टी डीपार्टमेन्ट की मुश्तरका कोशिश से आ़शिक़ाने रसूल की आसानी के लिए मोबाइल ऐप्लीकेशन बनाम "Muslim’s Funeral" (कफ़न दफ़्न) भी बनाई गई है,